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संयम श्रीवास्तव। कोरोना महामारी (Covid Pandemic) ने देश की मेडिकल व्यवस्था (Medical System) का सच सबके सामने ला दिया. कोरोना की पहली और दूसरी लहर ने बता दिया की देश की मेडिकल व्यवस्था कितने बुरे दौर से गुजर रही है. खासतौर से भारत में छोटे शहरों की मेडिकल व्यवस्था (Rural India Medical System) तो एकदम ही चौपट है. यही वजह है कि सोमवार को देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman ) ने छोटे और मझले शहरों के स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे के विस्तार के लिए 50,000 करोड़ रुपए की कर्ज के गारंटी की योजना की घोषणा की. इसके साथ ही उन्होंने 23,220 करोड़ रुपए का अतिरिक्त आवंटन किया जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से बच्चों की देखभाल और उनसे संबंधित बुनियादी सुविधाओं को विकसित करने में होगा. कर्ज की गारंटी योजना का लाभ प्राइवेट अस्पतालों के विस्तार में तो कुछ काम आ सकती है पर बिना सरकारी अस्पतालों के विस्तार के हम देश की जनता का इलाज संभव नहीं हो सकेगा. वैसे भी कोरोना काल में निजी अस्पतालों ने या तो जमकर मुनाफा कमाया है या तो इलाज ही नहीं किया है. यूरोप-ऑस्ट्रेलिया और कनाडा से एक सीख तो ले ही सकते हैं कि स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए निजी क्षेत्र पर भरोसा नहीं कर सकते.