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वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए या किसी मजबूरी में कर्ज लेना स्वाभाविक है
वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए या किसी मजबूरी में कर्ज लेना स्वाभाविक है. बैंकों और अन्य संस्थाओं से निर्धारित ब्याज दर पर धन मुहैया कराया जाता है, पर नियमों की वजह से बहुत से लोग इस सुविधा का फायदा नहीं उठा पाते हैं. उन्हें सूदखोरों से भारी ब्याज पर कर्ज लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है. डिजिटल तकनीक की आमद ने एक ओर जहां बैंकिंग व्यवस्था को सरल और सुलभ बनाया है, तो दूसरी ओर इसके जरिये फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी भी खूब हो रही है.
रिजर्व बैंक द्वारा गठित एक समिति ने पाया है कि ऐंड्रॉयड फोन पर उपलब्ध पर्सनल लोन के 11 सौ एप में आधे से अधिक अवैध हैं, जो बिना किसी पंजीकरण या अनुमति के चल रहे हैं. इस गैरकानूनी कारोबार के फैलाव का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि अवैध एप 80 एप स्टोर पर उपलब्ध हैं. ये एप सस्ते दरों पर तुरंत कर्ज देने का वादा करते हैं. किसी तरह कर्ज हासिल करने की बेताबी के चक्कर में लोग इन्हें अपने खाते, आधार कार्ड, आय से जुड़े दस्तावेज आदि दे देते हैं, जिनके दुरुपयोग की आशंका रहती है.
एक बार कर्ज की राशि देने के बाद मनमाने ढंग से ब्याज वसूली का दौर शुरू होता है और लेनदार से अभद्र व्यवहार भी किया जाता है. ऐसे मामले भी सामने आये हैं, जहां खाते से पैसे उड़ा लिये गये हैं. कोरोना काल में नौकरियां छूटने और कारोबार बंद होने के कारण बड़ी संख्या में लोगों ने ऐसे एप के जरिये कर्ज उठाया है.
बड़ी संख्या में शिकायतें आने के बाद रिजर्व बैंक ने इस साल जनवरी में समिति का गठन किया था. अब इसकी रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई हो रही है. ऐंड्रॉयड सेवाएं देनेवाली कंपनी गूगल से अवैध एप की जानकारी मांगी गयी है. ऐसे संकेत मिले हैं कि अवैध लेनदेन के कारोबार में विदेशों में स्थित कंपनियां शामिल हैं. ऐसे में यह वित्तीय नियमन के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा प्रश्न भी है.
इसकी गंभीरता को देखते हुए रिजर्व बैंक ने सरकार से डिजिटल माध्यम से कर्ज लेने और देने के बारे में अलग से कानून बनाने के संबंध में विचार करने का आग्रह किया है. ऐसे कारोबार में लगे भारतीय उद्यमों को भी विशेष नियम बनाने को कहा गया है. इस मसले पर ठोस पहल के लिए सभी संबद्ध पक्षों से इस साल के अंत तक अपनी राय देने का आग्रह भी किया गया है.
यह भी उल्लेखनीय है कि अधिकृत गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं और निजी बैंकों द्वारा दिये गये डिजिटल ऋण की मात्रा में कुछ समय से तेज बढ़ोतरी हुई है. अर्थव्यवस्था में सुधार और तकनीकी बेहतरी के साथ इसमें लगातार बढ़त की उम्मीद भी है. ऐसे में अवैध कारोबारियों की सेंधमारी से कारोबार और लोगों को बचाना जरूरी है. लोगों को भी पंजीकृत संस्थाओं से ही कर्ज लेना चाहिए, अन्यथा लेने के देने पड़ सकते हैं.
प्रभात खबर
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