सम्पादकीय

मर्यादा में रहका जी लो जिंदगी...

Gulabi Jagat
2 Aug 2023 7:24 AM GMT
मर्यादा में रहका जी लो जिंदगी...
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परसों मेरे पास कुछ सदस्य मिलने आए। कुछ 70 की उम्र के थे, दो अकेले थे। यानी उनके जीवन साथी छूट गए थे। बातों-बातों में मुझे कह रहे थे कि मैडम जी एक तो आप जल्दी से ब्रांचें खोलें, हमारे जीवन में तो यही सब है। ऑनलाइन हमारा दिल नहीं लगता और इस उम्र में अब क्या रखा है। मैंने उनकी बातें ध्यान से सुनीं। मैंने कहा- अगस्त के सैकेंड वीक से सारी ब्रांच खुल रही हैं परन्तु यह क्या छुट्टियां हैं तो इसे एंज्वाय करो। छुट्टियों में जीना सीख लो या यूं कह लो इस उम्र को जीना सीख लो। इन छुट्टियों में किताबें पढ़ो, अखबार पढ़ो, व्यायाम करो, क्योंकि अब आपको नैट पर बहुत कुछ देखने और सीखने को मिल जाता है परन्तु नैट आपका स्थायी साथी नहीं कभी भी उड़ सकता है। किताबें, अखबारें हमेशा आपके साथ रहती हैं और व्यायाम इस समय आपकी कमजोर हो रही मांसपेशियों को मजबूत करता है और सबसे जरूरी वॉक करना है। अगर पार्क में जाओ तो अच्छा है न जा सको तो कमरे और घर में ही टहलो।यानी इस उम्र का सर्वाधिक उपयोग करो। यंग रहो फिट रहो, अच्छे-अच्छे कपड़े पहनो, सुन्दर दिखो। कभी दिल करे तो मेकअप भी करो। हो सके तो पार्लर जाओ। एक सदस्य जो 72 वर्षीय हैं उन्होंने कहा कि अब इस उम्र में क्या रखा है। अब क्या सजना-संवरना तो मैंने झट से कहा कि यही तो उम्र है सजने-संवरने की। जवानी में तो कुदरती सुन्दरता होती है और इस समय हमें अपनी सुन्दरता बनानी है और व्यायाम करके फिट रहना है। सुन्दर-सुन्दर कपड़े पहनकर, बाल अगर कलर करना चाहो तो करो, आरामदायक और आज के फैशन के सभी वस्त्र जो अपका दिल करे जिससे आप सुन्दर, स्मार्ट दिखो जरूर पहनो और यह भी न कहना इस उम्र में क्या रखा है। इस उम्र में आपकी वैल्यू ज्यादा है। जैसे ताजे फलों से ड्राई फ्रूट महंगा और कीमती होता है वैसे ही आप भी ज्यादा वैल्यू रखते हो, आपका जीवन बहुत कीमती है। तभी एक सदस्य जिसका जीवन साथी छूट गया तो आंखें नम करते हुए बोलीं कि अब जीने को दिल नहीं करता, बहुत याद आती है। हम दोनों हमेशा इके प्रोग्राम में आते थे, हिस्सा लेते थे। तो मैंने उन्हें समझाया कि आप मेरी तरफ देखो, मेरा और अश्विनी जी का पल-पल का साथ था। मुझे भी यही लगता है परन्तु अब अपने दिल को मजबूत कर रही हूं और अपने आप को समझा रही हूं। कभी भी जोडिय़ां इके नहीं जातीं। एक पहले जाता है, दूसरा बाद में। मेरे साथ तो और भी विडम्बना है कि अश्विनी जी सिर्फ 62 की उम्र में चले गए और मेरे ऊपर बहुत सी जिम्मेदारियां छोड़ गए हैं। आपके तो भरपूर जिन्दगी 81 की उम्र में गए हैं, जिम्मेवारियां निभा कर गए हैं तो यह जिन्दगी आपका बोनस ही है। आप सेवानिवृत्त नहीं हो, अब आपको फिर से गतिशील बनना होगा। आप दिल से सारे गम भुला कर जियो और रोना नहीं। याद रखो अपने जख्म किसी को नहीं दिखाओ क्योंकि आपने जख्मों और दुखों पर मरहम लगाने के लिए आपके रिश्तेदारों के पास बैंडेज नहीं है। इसे आपको ही ठीक करना है और इन पंक्तियों को हमेशा याद रखो।
''यह मत कहो खुुदा से मेरी मुश्किलें बढ़ीं हैंयह मुश्किलों से कह दो मेरा खुदा बड़ा है,
आती हैं आंधियां तो कर उनका खैर मकदमआंधियों से लडऩे को तुम्हें खुदा ने घड़ा है।
जिन्दगी में हर किसी को मुश्किल है, हर एक के पास गम है। नानक दुखिया सब संसार... बस मुस्करा कर अपनी जिन्दगी को मर्यादा में रहकर जी लो, खुश रहो, व्यस्त रहो, मस्त रहो, स्वस्थ रहो। जो भी मिला है उसका हमेशा शुकराना करो और हमेशा उन लोगों की तरफ देखो जिनको यह भी नहीं मिला तो आपको समझ लगेगी कि इन परिस्थितियों में भी आप बहुत खुशकिस्मत हो। सबसे बड़ी बात है कि आपके पास एक सकारात्मक ऊर्जा वाला मंच है वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब, जिसमें आप अपनी हर इच्छा मर्यादा में रहकर पूरी कर सकते हो। सज-संवर कर आ सकते हो। अगर आप पुण्य कमाना चाहते हो तो किसी जरूरतमंद बुजुर्ग को एडोप्ट कर सकते हो और क्या चाहिए सो अपनी जिन्दगी खुश होकर जीओ, जी भरकर जीओ। द्य
सोर्स: पंजाब केसरी
Gulabi Jagat

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