सम्पादकीय

गडकरी की सलाह, सुनें

Gulabi Jagat
2 April 2022 5:09 AM GMT
गडकरी की सलाह, सुनें
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नितिन गडकरी कांग्रेस की भूमिका पर ऐसी बात कही है, जो सत्ताधारी नैरेटिव से अलग है
By NI Editorial
नितिन गडकरी कांग्रेस की भूमिका पर ऐसी बात कही है, जो सत्ताधारी नैरेटिव से अलग है। इसके बावजूद सच यही है कि गडकरी की शुभकामनाएं कांग्रेस के बहुत काम नहीं आएंगी। हां, अगर वह गडकरी की सलाह सुन कर उस दिशा में अमल करे, तो यह जरूर काम की बात हो सकती है। Listen to Gadkaris advice
आज के दौर में भारतीय जनता पार्टी में नितिन गडगरी अकेले ऐसे नेता हैं, जो पार्टी के सर्वोच्च नेतृत्व की तरफ से चलाए गए नैरेटिव से अलग अपनी राय जताने का साहस दिखाते हैँ। जिस सरकार के कार्यकाल में सारा जोर जवाहर लाल नेहरू और उनकी विरासत को लांछित करने पर रहा है, उसमें रहते हुए पहले भी कई मौकों पर वे आधुनिक भारत के निर्माण में पंडित नेहरू के योगदान की मुक्त कंठ से प्रशंसा कर चुके हैँ। बहरहाल, इस बार उन्होंने देश की वर्तमान राजनीति में कांग्रेस की भूमिका पर ऐसी बात कही है, जो आज के सत्ताधारी नैरेटिव से बिल्कुल अलग है। जब कांग्रेस मुक्त भारत आज की भाजपा का घोषित उद्देश्य है, उस समय गडकरी ने कहा है कि भारतीय लोकतंत्र के सेहत के लिए कांग्रेस का मजबूत बने रहना जरूरी है।
ऐसा हो, इसके लिए उन्होंने कांग्रेस को अपनी शुभकामनाएं भी दी हैं। बहरहाल, इसी बीच उन्होंने एक ऐसी बात कही, जिसे इस चर्चा में बेहद अहम समझा जाएगा। उन्होंने कांग्रेस के लोगों को सलाह दी कि वे अपनी विचारधारा पर टिके रहें और उसके लिए काम करते रहें। आज कांग्रेस के सामने जो गहन प्रश्न उपस्थित हैं, उनमें विचारधारा भी एक है। नेतृत्व से लेकर जमीनी स्तर तक कांग्रेस के जो बचे-खुचे कार्यकर्ता हैं, उनके लिए इस सवाल का जवाब देना आज कठिन हो सकता है कि आखिर कांग्रेस की विचारधारा है क्या? खासकर आज के दौर में इस विचारधारा को किस रूप में समझा जाना चाहिए?
आज के कांग्रेसियों की सोच इंदिरा गांधी के दौर से पीछे नहीं जाती। अधिक से अधिक उन्हें यही मालूम है कि वे भाजपा नहीं हैं। भाजपा से उनका मतलब धर्म की सियासत करने वाली पार्टी है। लेकिन वे खुद क्या हैं, इसे परिभाषित करने में वे अक्सर अक्षम पाए जाते हैँ। सत्ता से बाहर हो जाने के आठ साल बाद तक पार्टी नेतृत्व ने इस और ऐसे तमाम बिंदुओं को स्पष्ट करने की दिशा में कोई काम नहीं किया है। सच्चाई तो यह है कि नेतृत्व को लेकर भी पार्टी भटकती रही है। ऐसे में संगठन खड़ा करना होना दूर की बात है। इसीलिए कहा जा सकता है कि गडकरी की शुभकामनाएं कांग्रेस को बहुत काम नहीं आएंगी। हां, अगर वह गडकरी की सलाह सुन कर उस पर अमल करना शुरू करे, तो यह जरूर काम की बात हो सकती है।
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