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- शेर और बकरी एक ही घाट...

देश में आर्थिक क्रांति हो गई है, इसकी खबर सबको दे दी गई है। देश में समावेशी विकास हो रहा है अर्थात इस बदले हुए ज़माने में शेर और बकरी एक ही घाट पर पानी पी रहे हैं। इसका प्रचार ध्वनि प्रदूषण का खतरा पैदा करने के बावजूद सरकारी भोंपू बहुत खूबी से कर रहे हैं। भई, हमारी सरकार है। हमारे वोटों के बलबूते से बनी सरकार है। एक जन-कल्याणकारी राष्ट्र की सरकार है, ऐसा संविधान ने हमें बताया है। इसलिए क्यों न हम उसका विश्वास कर लें। फिर विश्व व्यापार संगठन के मंच से ट्रंप महोदय और उनके धनपति सहयोगी भी तो चिल्लाने लगे कि भारत और चीन अब अल्पविकसित राष्ट्र नहीं, बल्कि विकसित राष्ट्र बन चुके हैं, फिर भी अपना व्यापार और विकास करते हुए वे विश्व व्यापार मंच से अल्पविकसित राष्ट्रों को मिलने वाली सब राहतें लिए जा रहे हैं। भई, बंद करो इनकी सब राहतें, इनको लंबे-चौड़े अनुदान और आर्थिक मदद के स्रोत बंद करें। उन्होंने जो हमारे निर्यात पर कस्टम और टैक्स की ऊंची-ऊंची दीवारें खड़ी कर रखी हैं, इन्हें गिरा दो ताकि हम चचा सैम सुविधा से अपना फालतू माल भारत में बेच सकें। इनकी मंडियों को अपने घटिया और मशीनी सामान से भर सकें।
