सम्पादकीय

जिंदगी हो या बिजनेस, जुड़ाव और मनोरंजन बदल रहा है, ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए खुद को स्थिर और खुश रखने के लिए तरीके

Gulabi
20 Dec 2021 9:28 AM GMT
जिंदगी हो या बिजनेस, जुड़ाव और मनोरंजन बदल रहा है, ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए खुद को स्थिर और खुश रखने के लिए तरीके
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शनिवार की रात मैंने ‘अरण्यक’ के सारे एपिसोड देखे
एन. रघुरामन का कॉलम:
शनिवार की रात मैंने 'अरण्यक' के सारे एपिसोड देखे। इस सीरीज में रवीना टंडन पुलिस इंस्पेक्टर बनी हैं, जिसका पति भी इंस्पेक्टर बनना चाहता था, लेकिन वर्दी वाली नौकरी पाने में असफल रहने के बाद सायबर कैफे चलाने लगता है। हालांकि एपिसोड क्राइम थ्रिलर है, लेकिन स्क्रिप्ट में बड़ी बारीकी से भारत के ऐसे परिवारों की परिस्थिति भी दिखाई गई है, जहां महिलाएं प्रमुख हैं।
इस भूमिका में रवीना पुरुषों से नफरत करने वाली नहीं हैं, बल्कि घर की अकेली कमाऊ सदस्य होने के साथ उन्हें कार्यस्थल की राजनीति और पदोन्नति से जुड़ी समस्याएं भी झेलनी पड़ती हैं। इससे मुझे 2011 की जनगणना याद आई, जिसमें बताया गया था कि देश में 20% परिवारों की प्रमुख महिलाएं थीं और पंजीकृत सिंगल (अकेली) महिलाएं 71.4% थीं। इनमें विधवाएं, तलाकशुदा, अविवाहित और पति से अलग रह रही महिलाएं शामिल थीं। स्वाभाविक है कि पिछले 10 वर्षों में इसमें बढ़ोतरी हुई होगी क्योंकि समाज तेजी से बदल रहा है।
मैं यह सोचते-सोचते सोने गया कि कैसे ये महिलाएं अपना जीवन जीती हैं। फिर मुझे उन सिंगल महिलाओं के बार में पता चला जो मिलकर दुनिया को खुशनुमा बना रही हैं। वर्ष 2018 में अपने जैसों से जुड़ने के मिशन के साथ बतौर सोशल मीडिया कम्युनिटी इसकी शुरुआत हुई। देश के बड़े शहरों की सिंगल महिलाएं, इस नेटवर्क के जरिए संकट में एक-दूसरे की मदद कर रही हैं।
लेखिका श्रीमोई पियू कुंडु के दिमाग की उपज 'स्टेटस सिंगल' कम्युनिटी की मौजूदगी बेंगलुरु और पुणे के अलावा दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता जैसे सभी गेटवे (आर्थिक) शहरों में है। सोशल मीडिया ग्रुप में जुड़ी रही, बड़े शहरों की 100 महिलाओं ने अब आमने-सामने मिलकर, ऑफलाइन नेटवर्क बनाने का फैसला लिया है। पिछले दो हफ्तों से वे सिंगल महिलाओं की एकता का मजबूत और स्पष्ट संदेश महिला-पुरुषों और तमाम सामाजिक वर्गों को दे रही हैं।
हाल ही में फेसबुक ने 'कम्युनिटी एक्सलरेटर प्रोग्राम' लॉन्च किया है, जिसकी कई महिला कम्युनिटी सदस्य हैं। इनमें एक है 'वुमन पॉवर' जो बेंगलुरु की महिलाओं को आंत्रप्रेन्योरशिप से जोड़ती है और विभिन्न विषयों पर जानकारी देती है। ग्रुप की 1.8 लाख सदस्य हैं। अब तक 3000 से ज्यादा होमप्रेन्योर (घरेलू आंत्रप्रेन्योर) और छोटे बिजनेस इसके जरिए अपने उत्पाद और सेवाएं दिखा चुके हैं। उनका लक्ष्य महिलाओं को वित्तीय रूप से स्वतंत्र बनाने और उत्पाद बेचने के लिए प्लेटफार्म देना है।
इसी तरह मनोरंजन में नया मोड़ आया है। अचानक विदेशी भाषाओं को सीखने में रुचि बढ़ी है। हालांकि ऐसा नौकरी या शैक्षणिक संभावनाओं के लिए नहीं है, बल्कि बेहद मशहूर दक्षिण कोरियाई सीरियल देखने के लिए है, जो ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आ रहे हैं, जैसे कि हाल ही में वायरल हुआ 'स्क्विड गेम'। मुझे याद है 2015 में कई लोग स्पैनिश सीखने लगे थे, ताकि 'नार्कोस' सीरीज देख सकें।
अब ऐसी ही कोरियाई लहर आई है। कोरियाई सीखने के लिए ढेरों ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हो रहे हैं और कई टीचिंग सेंटर भीड़ के कारण सभी को प्रवेश नहीं दे पा रहे। भले ही कुछ लोग मनोरंजन के लिए नई भाषा सीख रहे हों, लेकिन यकीन मानिए उन्हें इससे कहीं न कहीं करिअर में भी मदद मिलेगी। फंडा यह है कि ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए खुद को स्थिर रखने और खुश तथा व्यस्त रखने के लिए तरीके खोजिए। अपना बिजनेस चलाने और जीवन का आनंद लाने के अपने तरीके तलाशिए।
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