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- हुनर का जीवन, जीवन का...

बेरोजग़ारी की समस्या विकराल है। आज़ादी के बाद से ही देश इस समस्या से लगातार जूझ रहा है और किसी को कोई हल नहीं सूझ रहा। लगातार बढ़ती आबादी ने आग में घी का काम किया है। योजनाएं बनती हैं, घोषणाएं होती हैं, पर आगे कुछ नहीं होता। नई तकनीक ने कइयों को अरबपति बना दिया तो बहुत से लोगों को बेरोजग़ार भी किया। कोरोना वायरस ने जो हाहाकार मचाई वो अलग। बेरोजग़ार आदमी हर रोज़ उम्मीद लेकर निकलता है, इंटरव्यू देता है और असफल होकर लौट आता है। बड़ी बात यह है कि यह परेशानी उन लोगों के साथ ही है जिन्होंने मां-बाप के पैसे खर्च करके पढ़ाई की, स्कूल-कालेज में सालों-साल लगाए, डिग्री हासिल की और अब वो बेरोजग़ारी का ज़हर पी रहे हैं। बेरोजग़ारी व्यक्ति का आत्मविश्वास खत्म कर देती है, आदमी का रुतबा घट जाता है, सम्मान घट जाता है, और व्यक्ति अक्सर अपनी ही नजऱों में गिर जाता है।
By: divyahimachal
