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Written by जनसत्ता: छत्तीसगढ़ में मैना को विशिष्ट सम्मान प्राप्त है औप इसे छत्तीसगढ़ का राजकीय पक्षी घोषित किया गया है। संख्या में कमी को देखते हुए इसे विलुप्त होने से बचाने के प्रयास जारी हैं। विलुप्त प्रजातियों के पक्षियों को बचाने के प्रयास किया जाना चाहिए, क्योंकि धरती पर जितना अधिकार इंसानों का है, उतना ही पशु-पक्षियों और जीव-जंतुओं का भी है। बहुत से सेवाभावी लोग गौरैया औप अन्य पक्षियों के लिए छांव, पानी, दाना की व्यवस्था कर पुण्य का लाभ लेते हैं। कई किसान अपने खेत के कुछ हिस्सों में ज्वार, बाजरा भी लगाते हैं। उनका उद्देश्य दाना प्रदान करना रहता है।
पक्षियों की सेवा से मन को सुकून मिलता है। दाना प्रदान करने के लिए खेतों में पक्षियों के लिए कुछ भाग सुरक्षित रखा जाता है। लेकिन फलों आदि की खेती से उनके आहार पर प्रभाव पड़ा है। घोंसला बनाने में निपुण पक्षी की बात करें तो हर पक्षी की अपनी खासियत होती है, जिससे वे इंसानों को पसंद आते हैं।
कई पक्षी इंजीनियर के माफिक होते हैं, जिसमें प्रमुख नाम बया पक्षी का है। सुंदर-सा नीड़ वह कुएं, कटीली झाड़ियों में बना कर लटकाता है। तेज आंधी, पानी से वह टूटता नहीं। इतनी मजबूती से बुना चारे से, जिसमें अंदर नीचे की ओर से जाया जाता है। बुनाई का अद्भुत रूप प्राकृतिक रूप से वे तैयार करते है। इस कला की जितनी तारीफ की जाए, उतनी कम ही होगी। सृष्टि का अनोखा इंजीनियर बया श्रेष्ठ पक्षी है।
भीषण गर्मी इस बार सारे रिकार्ड तोड़ने की ओर है। बीते दिनों दिल्ली में तापमान 49 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया और चेतावनी भी दी गई है कि आने वाले दिनों में तापमान और भी ज्यादा बढ़ सकता है। भीषण गर्मी में दो वक्त की रोजी-रोटी कमाने वालों के हाल-बेहाल हो चुके हैं, क्योंकि एक तरफ तड़पाती गर्मी तो दूसरी ओर रोजी-रोटी। अगर घर से बाहर न निकलें तो दो वक्त के खाने की समस्या खड़ी हो जाती है। चाहे कैसी भी गर्मी क्यों न हो, पेट और भूख सब कुछ करवाती ही है।
वहीं ऐसे लोग भी देखने को मिलते हैं जो गर्मी के इस मौसम में ठंडा पानी, जूस आदि फ्री में लोगों को पिलाकर सबकी खुशी में अपनी खुशी ढूंढ़ते हैं। बताया जा रहा है कि गर्मी के सितम के बीच मानसून ने बंगाल की खाड़ी में दस्तक दे दी है। अंडमान निकोबार और पश्चिम बंगाल में इसका असर देखने को मिला है।