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- झूठ बोले कौआ काटे
हिंदी फि़ल्म बॉबी का निर्माण हुए पाँच दशक होने को आ रहे हैं। लेकिन मैं अभी भी उस कौए को ढूँढ़ रहा हूँ जिसकी खोज कवि और गीतकार विठ्ठल भाई, जो काँग्रेस के वरिष्ठ नेता भी थे, ने ख़ास तौर पर इसी फि़ल्म के लिए की थी। दिखा तो वह कौआ इस फिफल्म में भी नहीं था। ज़ाहिर है जब दिखा ही नहीं तो काटता कैसे? नाचती-गाती अभिनेत्री जब देखती है कि उसका सैंया उसकी सौत लाने की बात कर रहा है तो वह, यह सच जानते हुए भी कि उसका सैंया उससे झूठ बोल रहा है, सौत के डर से मायके जाने का विचार तजते हुए ख़ुशी-ख़ुशी उसके साथ नाचती-गाती रहती है। कुछ इसी तरह भारतीय राजनीति में सैंया अर्थात् पार्टी की ख़ातिर सच को संसद के द्वार के बाहर आसानी से छोड़ कर नाचत-गाते सांसद कभी झूठ बोलते हैं तो कभी धींगामुश्ती करते नजऱ आते हैं। ऐसे में जब सैंया कोतवाल हों अर्थात् सरकार अपनी हो तो सच-झूठ का झंझट भी ख़त्म हो जाता है। कभी भी और कहीं भी आसानी से झूठ पेला जा सकता है। द्वापर में श्री कृष्ण ने अपने पक्ष की सुविधा के हिसाब से झूठ बोल कर, उसे धरम के फेविकोल से चिपका दिया था। सवाल ताक़त और समय का है।