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राष्ट्रीय राजधानी की हवा में प्रदूषण के खतरनाक स्तर को देखते हुए दिल्ली सरकार ने जिन चार तात्कालिक कदमों की घोषणा की, वे अत्यंत जरूरी हो गए थे। स्कूल-कॉलेजों को हफ्तेभर के लिए बंद करने, सरकारी और गैर-सरकारी ऑफिसों में वर्क फ्रॉम होम लागू किए जाने और हवा में धूल की मात्रा बढ़ाने वाले निर्माण कार्यों पर अस्थायी रोक लगाने से कुछ राहत तो जरूर मिलेगी। जहां तक लॉकडाउन की बात है तो सरकार ने इस पर भी कुछ प्रस्ताव तैयार किए हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के सामने रखे जाने हैं। अफसोस की बात यह है कि राहत के ये उपाय तब किए गए, जब सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जरूरत बताई। अच्छा होता कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से पहले ही सही समय पर इस तरह के कदम उठा लेती। आखिर मौसम विभाग की तरफ से जुटाई गई सूचनाएं तो पहले से उपलब्ध थीं। पराली का धुआं आने की बात भी पहले से मालूम थी। समय से कदम उठाए जाते तो संभवत: हवा की क्वॉलिटी इतनी खराब न होती। मगर ध्यान में रखने की बात है कि न तो यह सवाल इन चार-पांच दिनों का है और न ही मामला दिल्ली और आसपास के इलाकों तक सीमित है।