सम्पादकीय

हादसे के सबक

Subhi
7 Jun 2022 3:37 AM GMT
हादसे के सबक
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उत्तराखंड में रविवार शाम हुए बस हादसे में पच्चीस से ज्यादा तीर्थयात्रियों की मौत बेहद दुखद और गंभीर बात है। यमुनोत्री धाम से सत्तर किलोमीटर पहले डामटा के पास शाम सात बजे के करीब अट्ठाईस यात्रियों को ले जा रही बस गहरी खाई में गिर गई थी।

Written by जनसत्ता: उत्तराखंड में रविवार शाम हुए बस हादसे में पच्चीस से ज्यादा तीर्थयात्रियों की मौत बेहद दुखद और गंभीर बात है। यमुनोत्री धाम से सत्तर किलोमीटर पहले डामटा के पास शाम सात बजे के करीब अट्ठाईस यात्रियों को ले जा रही बस गहरी खाई में गिर गई थी। ज्यादातर लोगों की मौत मौके पर ही हो जाने की बात सामने आई। सभी तीर्थयात्री मध्य प्रदेश के पन्ना जिले से आए थे और यमुनोत्री जा रहे थे।

हालांकि पहाड़ी इलाकों में ऐसे हादसे कोई नई बात नहीं हैं। सिर्फ बड़े वाहन ही नहीं, छोटी गाड़ियां भी खाई या गहरे खड्डों में गिरने की खबरें अक्सर ही आती रहती हैं। लेकिन इस हादसे ने एक बार फिर वही सवाल खड़े कर दिए हैं जो हर बड़े हादसे के बाद पहले भी उठते रहे हैं और जिन्हें हमेशा नजरअंदाज कर दिया जाता है। हादसे को लेकर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि राज्य में सड़कों का नेटवर्क और गुणवत्ता पहले के मुकाबले काफी बेहतर होने के दावे किए जाते रहे हैं। ऐसे में अगर वाहन खाइयों में लुढ़कने की घटनाएं होती रहती हैं तो यह साधारण बात नहीं है। आखिरकार इस बारे में सोचना तो पड़ेगा कि ऐसे हादसे क्यों बढ़ रहे हैं और इन्हें कैसे रोका जाए?

डामटा के पास हुए बस हादसे ने एक बार फिर वही सवाल खड़े किए हैं। आखिर कुछ तो ऐसा हुआ जो हादसे का कारण बना। ऐसा भी नहीं कि बस उत्तराखंड से बाहर की थी और इसे चलाने वाले रास्तों से अनजान थे। जैसा कि खबरों में बताया गया है कि यह बस यातायात पर्यटन एवं विकास सहकारी संघ लिमिटेड कंपनी की थी। बस के कागजात भी दुरुस्त होने की बात कही जा रही है। ऐसा भी नहीं कि बस बहुत पुरानी थी। साल 2018 का पंजीकरण था। लेकिन एक जो सबसे बड़ी बात सामने आई, वह यह कि हरिद्वार से यमुनोत्री के बीच यह बस का लगातार तीसरा फेरा था, जो बिना रुके चल रही था। जबकि नियम के अनुसार एक फेरा पूरा करने के बाद बस के चालक और परिचालक को विश्राम दिया जाता है।

लेकिन इस बस के चालक से एक नहीं दो नहीं, बल्कि तीसरा फेरा भी करवाया जा रहा था। ऐसे में इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि ड्राइवर को झपकी लग गई होगी और बस बेकाबू होकर खाई में जा गिरी। अगर ऐसी बात है तो चालक से ज्यादा वह कंपनी जिम्मेदार है जो नियमों का उल्लंघन कर इस तरह बसों का संचालन कर रही है। कहा यह भी जा रहा है कि चालक ने किसी वाहन से आगे निकलने की कोशिश की और इसी दौरान बस बेकाबू हो गई। हालांकि ये सब जांच के विषय हैं।


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