सम्पादकीय

कोरोना पर जीत से इटली को मिले सबक; भारत के अध्यात्म से प्रभावित इस देश ने कोविड को ऐसे जीता

Rani Sahu
15 Oct 2021 6:31 PM GMT
कोरोना पर जीत से इटली को मिले सबक; भारत के अध्यात्म से प्रभावित इस देश ने कोविड को ऐसे जीता
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बारह वर्षों बाद रोम (इटली) का दोबारा दरस-परस हुआ। कोविड के पहले दौर का मौत मंजर इटली में हुआ

हरिवंश बारह वर्षों बाद रोम (इटली) का दोबारा दरस-परस हुआ। कोविड के पहले दौर का मौत मंजर इटली में हुआ। हाल में अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने प्रभावित लोगों को ढूंढा। उनके अनुभवों पर पुर्नचर्चा की। एक बीमार इंसान की पत्नी ने बताया, वुहान के पास से लौटे एक यात्री के यहां रात्रि भोज में उसके पति गए थे। इसके बाद हुई मौतों से इंसान असहाय बन गया। खुद से सवाल पूछा, इसके लिए हम किसे दोषी ठहरा सकते हैं?

प्रकृति के सामने यह इंसान की विवशता थी। इतिहास के पर्याय इटली ने जिस तरह इस कहर का मुकाबला किया, वह मानव संकल्प और दृढ़ता का प्रेरक ताजा प्रसंग है। आज भी 50 से अधिक लोगों की सार्वजनिक मीटिंग नहीं होती। आरंभ में यह भी व्यवस्था थी कि कोई भी इंसान, निजी घर में चार से अधिक अतिथि आमंत्रित नहीं कर सकता। सरकारी दफ्तरों में बगैर टीका कोई आता है, तो उस पर कार्रवाई का प्रावधान है।
मास्क अनिवार्य है। दुकानों में स्व-अनुशासन है। इटली, वह मुल्क है, जहां दुनिया के सर्वाधिक टूरिस्ट आते हैं। रोम भी दुनिया के आकर्षण का केंद्र है। यह, वह जगह है, जहां कोलेजियम देखने साल में छह करोड़ यात्री आते रहे हैं। कोविड पूर्व। पास में ही पोप का शहर वेटिकन सिटी है। यहां भी सालाना छह करोड़ यात्री आते रहे हैं। टूरिज्म, इटली के आर्थिक विकास की महत्वपूर्ण कुंजी है। पर यह सब ठप था।
वही इटली, सामूहिक संकल्प से कोविड कहर को फतह कर आगे बढ़ रहा है। आर्थिक विकास की गति तेज हुई है। इस पुनर्रचना के शक्तिस्रोत हैं, प्रेरक इतिहास, पुनर्जागरण का रोशन अतीत, सामाजिक संकल्प, स्वअनुशासन। साथ ही यह मुल्क गांधी से, योग से, भारतीय आध्यात्म से, दर्शन से, ऊर्जा ग्रहण कर रहा है। कोविड के मनोवैज्ञानिक असर से लड़ने में इस समाज ने 'योग' को प्रभावी पाया है।
गांधीजी, इटली में बड़े लोकप्रिय हैं। वे 1931 दिसंबर में रोम आए थे। भारतीय आध्यात्म भी इटली में लोकप्रिय है। दो हजार वर्षों का भारत-इटली का रिश्ता है। पहले व्यापार से शुरू हुआ। फिर संस्कृति-दर्शन का आदान-प्रदान। यह एथेंस ग्रीस और सिकंदर के सेतु से होकर इटली पहुंचा। वेटिकन यात्री मार्कोपोलो 13वीं सदी में भारत आए। यात्रा वृतांत लिखा। इटली के आज कई संस्थाओं में भारतीय अध्ययन विभाग हैं।
इनमें हिंदी, तमिल, उर्दू, संस्कृत, भारतीय संस्कृति, कला, धर्म व दर्शन की पढ़ाते हैं। 1984 में एक इटलीवासी ने यहां सवोना में गीतानंद मठ आश्रम स्थापित किया। यहां इटलीवासियों ने सनातन धर्म संघ (इटालियन हिंदू संघ) बनाया है। इटलीवासियों के इस हिंदू संघ को, इटली की संसद में 2012 में मान्यता दी। आश्रम में औसतन 30-40 इटलीवासी रहते हैं जो सुबह चार बजे मंत्रों का पाठ करते हैं।
आश्रम में श्री ललिता महात्रिपुरसुंदरी मंदिर है। दत्तात्रेय मंदिर है। तीसरा मंदिर दस महाविद्या, शक्तिपीठ है। बारह वर्षों बाद भी इटली आने पर लगता है, बहुत नहीं बदला। क्योंकि इसे बदलने के बजाय अद्भुत ढंग से इसका संरक्षण किया गया है। इतिहास, धरोहर, अतीत, पुरातत्व को संजोने में इटली अव्वल है। रोम के ईंट-ईंट में इतिहास दफन है। रोम, जो जलाया गया, बार-बार नष्ट किया गया, पर कायम रहा।
इसी रोम के पुराने अवशेष, राजमहल-स्मारक, क्रूरता की, भ्रष्टाचार, सौंदर्य, साहस की सृजन की गाथाओं से संपन्न है। पग-पग पर। इतिहासकार कहते हैं कि रोम जैसा पुराना ताकतवर साम्राज्य भी खत्म हुआ क्योंकि सामाज ने आस्था (कनविक्शन) की जगह आराम (कन्वीनियंस) को चुना।
कोविड त्रासदी के बाद हाल में हुए एक सामाजिक अध्ययन में पाया गया है कि इटलीवासियों ने इससे तीन सबक लिए हैं। सामूहिक और सामाजिक एकता का। कारण, एकता ही विपदा से बचा सकती है। जलवायु परिवर्तन के प्रति चौकस होने का। साथ में सामाजिक विषमता मिटाने का।


Rani Sahu

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