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- इतिहास से सबक: हमारे...
महाराणा प्रताप बड़े या अकबर? यह अब इतिहास की अंतहीन बहस है। इतिहास से नायक चुनने की प्रक्रिया प्रायः सरकारी होती है, कभी-कभी ही समाज अपने नायक खुद चुनता है। इतिहासकारों के दार्शनिक ईएच कार ने कभी लिखा था- 'हर इतिहासकार अपनी पसंद की मछलियां चुनकर अपनी तश्तरी परोसता है।' अशोक और अकबर ने कुछ गलत या खराब काम किए, अच्छे काम ज्यादा किए, औरंगजेब इसके विपरीत था। यह व्यक्ति की नजर और एजेंडे पर है कि कौन-सा पहलू देखना चाहते हैं, कौन-से की तरफ आंख मूंदना। जब राजा, राजसत्ता या सरकारें इतिहास लेखन करवाती हैं, या प्रत्यक्ष-परोक्ष भूमिका निभाती है, नायकों के चुनाव में अपने एजेंडे को भी दृष्टिगत रखती हैं। ये कभी-कभी करीब-करीब वैसा ही होता है, कि प्रिय के अवगुण नहीं दिखते और अप्रिय के गुण। इतिहास लिखने वाले भी मनुष्य ही होते हैं, मानवीय स्वभाव और कमजोरियों से युक्त। इसलिए यह कहा जाता है कि संपूर्ण वस्तुनिष्ठ इतिहास लेखन और नायक-खलनायक का असंदिग्ध निर्णय असंभव यूटोपिया ही है।