सम्पादकीय

इस्तीफे वापस लेंगे अशोक गहलोत के वफादार विधायक, जल्द स्पीकर से करेंगे मुलाकात

Subhi
31 Dec 2022 5:08 AM GMT
इस्तीफे वापस लेंगे अशोक गहलोत के वफादार विधायक, जल्द स्पीकर से करेंगे मुलाकात
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कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव के दौरान राजस्थान के सियासी घटनाक्रम की वजह से पार्टी की जमकर किरकिरी हुई। अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के समर्थन में राजस्थान कांग्रेस के करीब 90 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को इस्तीफा दे दिया था। अब खबर यह है कि कांग्रेस के ये सभी विधायक जल्द ही अपने इस्तीफे वापस ले सकते हैं।

Written बी जनसत्ता; कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव के दौरान राजस्थान के सियासी घटनाक्रम की वजह से पार्टी की जमकर किरकिरी हुई। अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के समर्थन में राजस्थान कांग्रेस के करीब 90 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को इस्तीफा दे दिया था। अब खबर यह है कि कांग्रेस के ये सभी विधायक जल्द ही अपने इस्तीफे वापस ले सकते हैं।

कांग्रेस पार्टी (Congress Party) की तरफ से अभी इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया है लेकिन सूत्रों ने अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' को बताया कि विधायकों से कहा गया है कि वे सभी अपने इस्तीफे वापस लें। कांग्रेस पार्टी के एक नेता ने बताया कि विधायक विधानसभा स्पीकर से जाकर मिलेंगे और अपने इस्तीफे वापस लेने का पत्र सौंपेंगे।

क्यों दिया था इस्तीफा?

कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए अशोक गहलोत का नाम तय होने के बाद पार्टी आलाकमान मुख्यमंत्री बदलना चाहता था। कहा जाता है कि सचिन पायलट राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के लिए कांग्रेस की पहली पसंद भी थे। पार्टी के इसी फैसले से गहलोत के वफादार खुश नहीं थे।

इसके बाद कांग्रेस आलाकमान के "एकतरफा" रवैया से नाराज अशोक गहलोत के करीब 90 वफादारों ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शिरकत नहीं की और 25 सितंबर को विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को अपने इस्तीफे सौंप दिया, जो तब से उनके पास लंबित हैं। कांग्रेस के एक नेता का कहना है कि आने वाले दिनों में इस्तीफे वापस ले लिए जाएंगे।

अब क्यों वापस लिए जा रहे इस्तीफे?

दरअसल राजस्थान में आने वाले दिनों में 3 महत्वपूर्ण घटनाक्रम होने वाले हैं। पहला, 23 जनवरी से बजट सत्र की घोषणा, दूसरा लंबित इस्तीफे पर राजस्थान हाई कोर्ट द्वारा अध्यक्ष जोशी को नोटिस और तीसरा नए कांग्रेस राज्य प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा द्वारा जयपुर में पार्टी नेताओं के साथ करीब तीन दिन तक होनी वाली चर्चा।


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