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divyahimachal यह भारत सरकार के भरोसेमंद सूत्रों की ख़बर है। मीडिया के प्रमुख हिस्से में भी प्रकाशित हुई है, लिहाजा उसी आधार पर हम विश्लेषण कर रहे हैं। अलबत्ता कृषि और किसानों के संदर्भ में यह बेहद महत्त्वपूर्ण विषय है। किसानों की 23 फसलों के लिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा करती रही है। बीती 8 सितंबर को भी एमएसपी की दरें बढ़ाई गई हैं। ख़बर यह है कि भारत सरकार एमएसपी को कानूनी दर्जा देने पर गंभीर विचार कर रही है। स्पष्ट कारण है कि फरवरी, 2022 से लेकर साल के अंत तक महत्त्वपूर्ण राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। उप्र, उत्तराखंड, गुजरात और हिमाचल आदि राज्यों में भाजपा की ही सरकारें हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण चुनाव उप्र का है, जहां किसान और जाट समुदाय भाजपा से बेहद नाराज़ हैं, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में इसी समुदाय के करीब 91 फीसदी वोट भाजपा के पक्ष में आए थे। किसान चुनाव के तमाम समीकरणों को बदल सकते हैं। चूंकि दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलित किसानों के धरने-प्रदर्शन को करीब 10 माह बीत चुके हैं, लिहाजा सरकार के नीतिकारों का मानना है कि यदि एमएसपी को कानूनी दर्जा देने की घोषणा कर दी जाती है और उसे तुरंत प्रभाव से लागू कर दिया जाता है, तो कमोबेश आंदोलन शांत हो सकता है। किसानों के एक तबके का मानना है कि एमएसपी का कानूनी दर्जा उनकी समस्याओं का बुनियादी समाधान है।