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इस साल छह जनवरी को अमेरिकी संसद- कैपिटोल हिल में उनके समर्थकों ने जिस तरह से तांडव मचाया था,
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | इस साल छह जनवरी को अमेरिकी संसद- कैपिटोल हिल में उनके समर्थकों ने जिस तरह से तांडव मचाया था, उससे तो लग रहा था कि अमेरिकी इतिहास की अब तक की इस सबसे दुखद घटना के लिए ट्रंप को माफ नहीं किया जाएगा और उन्हें महाभियोग का सामना करना ही पड़ेगा। लेकिन महाभियोग के लिए सीनेट में जरूरी दो तिहाई बहुमत का आंकड़ा पूरा नहीं होने से ट्रंप बरी हो गए।
ट्रंप का कार्यकाल अमेरिका के इतिहास में इसलिए याद रखा जाएगा कि वे ऐसे पहले राष्ट्रपति थे जिन्हें अपने चार साल के कार्यकाल में दो बार महाभियोग का सामना करना पड़ा और दूसरा इसलिए कि कैपिटोल हिल की हिंसा के लिए उन्होंने अपने समर्थकों को हिंसा के लिए उकसाया, जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई थी और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे।
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सत्ता की खातिर कोई राष्ट्रपति इस हद तक भी चला जाएगा, किसी ने सोचा भी नहीं था। ट्रंप महाभियोग में बच भले गए हों, लेकिन उनके अपराध अक्षम्य हैं। कैपिटोल हिल की घटना से रिपब्लिकन पार्टी भी सकते में पड़ गई थी। इसीलिए सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी के सात सदस्यों ने भी अपने नेता ट्रंप के खिलाफ महाभियोग चलाने का समर्थन किया। अगर दस और रिपब्लिकन सीनेटर महाभियोग के पक्ष में वोट दे देते तो ट्रंप को इस कार्रवाई का सामना करना ही पड़ता।
ट्रंप अब अमेरिका के राष्ट्रपति भले न हो, लेकिन महाभियोग में उनका बच जाना बता रहा है कि रिपब्लिकन पार्टी पर उनकी पकड़ कमजोर नहीं पड़ी है। शायद यही वजह है कि ट्रंप अभी भी आत्मविश्वास से भरे हुए हैं। उनका यह कहना कि अमेरिका को महान बनाने का ऐतिहासिक और देशभक्त अभियान अब शुरू हुआ है, भविष्य के संकेत भी देता है। हालांकि ट्रंप के लिए संकटों का दौर पूरी तरह से खत्म हो गया है, यह कहना सही नहीं होगा। पूर्व राष्ट्रपति की हैसियत अब आम नागरिक जैसी है, इसलिए उन्हें विशेष कानून संरक्षण हासिल नहीं है।
ऐसे में ट्रंप के खिलाफ अब अदालत में मामले दायर हो सकते हैं। सीनेट के एक अल्पसंख्यक नेता ने यह कह कर इसका संकेत भी दे दिया है कि पूर्व राष्ट्रपति को जवाबदेह ठहराने के लिए सीनेट के मुकदमे से अधिक अदालतें उपयुक्त स्थान हैं। दंगों के शिकार हुए लोग अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। कैपिटोल की हिंसा के लिए स्वतंत्र जांच आयोग बनाने की मांग भी जोर पकड़ रही है। अगर ऐसा हुआ, जिसकी कि प्रबल संभावनाएं हैं, तो ट्रंप के राजनीतिक भविष्य पर ग्रहण लग सकता है।
अमेरिका इस वक्त गंभीर संकटों का सामना रहा है। देश में कोरोना से जिस बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं और मर रहे हैं, उससे बाइडेन प्रशासन के हाथ-पैर फूले पड़े हैं। ऐसे में बाइडेन प्रशासन की प्राथमिकता घरेलू संकटों से पार पाने की है, न कि ट्रंप से उलझने की।
ट्रंप और बाइडेन के बीच टकराव तभी तक ज्यादा था जब तक कि बाइडेन ने शपथ नहीं ली थी और वे वाइट हाउस में प्रवेश नहीं कर गए थे। महाभियोग में बरी होने के बाद ट्रंप के प्रति उनके समर्थकों की सहानुभूति उमड़ेगी। ऐसे में रिपब्लिकन पार्टी अगर एक बार फिर ट्रंप पर दांव लगा दे तो कोई आश्चर्य की बात नहीं। शायद इसीलिए ट्रंप ने 2024 में फिर से अमेरिका का नेतृत्व करने का दावा करना शुरू भी कर दिया है।
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