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जीवन के हर क्षेत्र में डिजिटल तकनीक और संबंधित नये रूपों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है
जीवन के हर क्षेत्र में डिजिटल तकनीक और संबंधित नये रूपों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में नीतियों को सही ढंग से लागू करने तथा सरकारी सेवाओं को आमजन के लिए सुलभ बनाने के लिए आवश्यक है कि देश के बड़े अधिकारी ऐसी तकनीकों को जानें व सीखें.
इस आवश्यकता को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि डाटा भविष्य में एक बड़ी ताकत होने की कगार पर है. डाटा गवर्नेंस और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के महत्व पर देते हुए उन्होंने मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी से आग्रह किया है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को प्रशिक्षण देनेवाले इस संस्थान में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की प्रयोगशाला स्थापित किया जाये.
प्रधानमंत्री मोदी की यह बात बहुत महत्वपूर्ण है कि सरकारी दस्तावेजों के आंकड़े केवल संख्या भर नहीं होते, बल्कि उनमें सपनों, आकांक्षाओं और चुनौतियों का जीवन धड़कता है. यदि तकनीक के बेहतर इस्तेमाल से सरकारी कामकाज में गति आती है और उसकी गुणवत्ता बढ़ती है, तो इससे देश का तीव्र विकास संभव हो सकता है.
जिले से लेकर केंद्र व राज्य सरकारों के शीर्ष विभागों तथा उपक्रमों के संचालन का दायित्व प्रशासनिक अधिकारियों पर ही होता है. डाटा प्रबंधन और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के बारे में जानकारी लेकर वे अपने दायित्व का प्रभावपूर्ण निर्वाह कर सकते हैं. कई ऐसे ठोस शोध उपलब्ध हैं, जो बताते हैं कि आगामी समय में हमारे जीने, काम करने और एक-दूसरे से जुड़ने की सारी प्रक्रियाओं में आमूल-चूल बदलाव होगा
भले ही हम अत्याधुनिक तकनीक संभावना एवं क्षमता से परिचित हों या नहीं हो, समाज और धरती के लिए इसके अनगिनत लाभ हैं. यदि हमारे अधिकारी तकनीक से परिचित होंगे, तो वे इसके लाभ भी सुनिश्चित कर सकेंगे और इसकी खामियों को भी दूर कर पायेंगे.
डिजिटल तकनीक के विस्तार की रफ्तार का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि 2025 तक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का वैश्विक बाजार 190 अरब डॉलर तक हो जायेगा तथा 2030 तक वैश्विक सकल घरेलू उत्पादन में इस तकनीक का योगदान 15.7 ट्रिलियन डॉलर तक संभावित है.
प्रशासनिक क्षेत्र में इसकी साक्षरता जरूरी है क्योंकि भारत उभरती अर्थव्यवस्थाओं में प्रमुख स्थान रखता है. प्रधानमंत्री मोदी ने इस ओर ध्यान दिलाकर सराहनीय पहल की है. इस संबंध में देरी करना नुकसानदेह हो सकता है. हमारा देश डिजिटल तकनीक में अगली पंक्ति के देशों में शामिल है. हमारे सॉफ्टवेयर उद्योग के पास वर्षों का अनुभव है तथा बड़ी संख्या में स्टार्टअप कंपनियां भी आ रही हैं.
इस उपलब्धता का लाभ उठाकर सरकारी अधिकारी शासन प्रक्रिया में नयी तकनीकों का उपयोग बढ़ाने के साथ डाटा सुरक्षा को भी पुख्ता कर सकेंगे. आशा है कि प्रधानमंत्री मोदी की बात का संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्य सरकारें तकनीकी प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान देंगी.
प्रभात खबर के सौजन्य से सम्पादकीय
Gulabi Jagat
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