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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इलाहाबाद हाई कोर्ट का एक हालिया फैसला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को पुष्ट करने के साथ ही अपनी आलोचना से कुपित होने वाली सरकारों को आईना भी दिखाता है। आशा की जानी चाहिए कि यह निर्णय उन अन्य राज्य सरकारों के लिए भी नजीर बनेगा जो नागरिकों द्वारा अपनी आलोचना के बाद उन्हें सताने पर आमादा हो जाती हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला यशवंत सिंह के मामले से जुड़ा है जिनके खिलाफ पिछले वर्ष इस कारण एफआइआर हुई थी कि उन्होंने एक ट्वीट में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया कि उन्होंने प्रदेश को जंगलराज में तब्दील कर दिया है। ट्वीट में हत्या, अपहरण और फिरौती मांगने से जुड़े मामलों का हवाला भी दिया गया था। सिंह पर भारतीय दंड संहिता यानी आइपीसी की धारा 500 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66डी के तहत एफआइआर दर्ज हुई।