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भारत बढ़-चढ़ कर इसका नेतृत्व करेगा.
बहुप्रतीक्षित महिला प्रीमियर लीग (डब्ल्यूपीएल) टूर्नामेंट के पहले सीजन की शुरुआत चार मार्च को हो गयी और इस आयोजन का फाइनल 26 मार्च को खेला जायेगा. महिलाओं के लिए प्रीमियर लीग टूर्नामेंट कराने की मांग लंबे समय से चल रही थी, पर अनेक लोगों के मन में इसकी व्यावसायिक कामयाबी को लेकर संदेह था. वैश्विक क्रिकेट में भारत को छोड़कर बाकी लोगों का मानना था कि महिला क्रिकेट को तभी बल मिल पायेगा और वह पुरुष क्रिकेट के समकक्ष आ सकेगा, जब इसमें भारत बढ़-चढ़ कर इसका नेतृत्व करेगा.
ऐसा कहने की वजह यह थी कि भारत क्रिकेट अर्थव्यवस्था के 70 फीसदी हिस्से को नियंत्रित करता है. भारतीय क्रिकेट बोर्ड इसलिए हिचक रहा था कि कहीं डब्ल्यूपीएल कराने से दुनिया की सबसे बड़े ब्रांड वैल्यू वाले आइपीएल को नुकसान न हो जाए. पिछले दो साल से यह देखा जा रहा है कि भारत की महिला क्रिकेट टीम का प्रदर्शन लगातार अच्छा रहा है. यह बात सही है कि अनेक टूर्नामेंट में फाइनल में जाकर टीम रूक जाती है, पर उसका खेल निश्चित ही सराहनीय रहा है तथा बड़े आयोजनों में टीम सेमीफाइनल और फाइनल खेल रही है.
दूसरी बात यह थी कि कुछ महिलाओं खिलाड़ियों की ब्रांड वैल्यू में लगातार बढ़ोतरी हो रही थी. इन खिलाड़ियों के इर्द-गिर्द अनेक नयी प्रतिभाएं उभर रही थीं. ऐसी स्थिति में क्रिकेट बोर्ड इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि महिला क्रिकेट को भी बराबरी के साथ ब्रांड किया जा सकता है. इस तरह डब्ल्यूपीएल की नींव रखी गयी है. जिस प्रकार से खिलाड़ियों की नीलामी हुई और उनकी कीमत तय हुई, वह बहुत उत्साहजनक रहा है.
हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि महिला प्रीमियर लीग में पहली गेंद फेंके जाने से पहले ही डब्ल्यूपीएल महिला क्रिकेट जगत की सबसे कीमती संपत्ति तो बन ही गया है, साथ ही यह सभी खेलों में सबसे बड़ी दस संपत्तियों में भी शामिल हो चुका है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह लीग पहले सीजन से पहले ही किस स्तर पर जा पहुंचा है. यह भी उल्लेखनीय है कि लीग में पैसा व्यावसायिक रूप से आया है.
इसके लिए किसी अन्य कोष का इस्तेमाल नहीं किया गया है. पांच टीमों के लिए देश के बड़े औद्योगिक घरानों ने पैसा लगाया है. डब्ल्यूपीएल के प्रसारण अधिकार को रिलायंस जियो ने ऊंची बोली लगा कर खरीदा है. जो इस आयोजन का टाइटल राइट है, उसके लिए भी आखिर तक लड़ाई हुई, तब फैसला हुआ.
पुरुष आइपीएल को लेकर उसकी शुरुआत में इतना उत्साह नहीं देखा गया था, जितना डब्ल्यूपीएल को लेकर रहा है और आने वाले दिनों में इसमें बढ़ोतरी ही होगी. किसी भी लीग की कामयाबी कुछ बातों से तय होती है. पहली बात यह है कि लीग में शामिल खिलाड़ी वैश्विक टूर्नामेंटों में कैसा प्रदर्शन करते हैं. आगे आइसीसी कप होना है. यह भी देखना है कि दुनिया की नंबर वन महिला क्रिकेट टीम ऑस्ट्रेलिया के बरक्स भारतीय टीम कैसे निखर कर सामने आती है.
अभी अंडर-19 के वर्ल्ड कप को भारतीय टीम ने जीता है. यह देखना होगा कि उस टीम के खिलाड़ी कितनी जल्दी डब्ल्यूपीएल में आ पाते हैं. जिस दिन भारतीय टीम के पास 15-16 बहुत अच्छे खिलाड़ियों की उपलब्धता हो जायेगी, डब्ल्यूपीएल की संभावनाएं भी बढ़ती जायेंगी. अभी पांच टीमें हैं और आगे तीन टीमों का प्रवेश होगा. निश्चित रूप से नयी टीमों का मूल्य आज की अपेक्षा कहीं अधिक होगा.
जब 1987 में भारत में क्रिकेट विश्व कप का आयोजन हुआ था, तब अनेक देशों के खिलाड़ियों ने भारत में खेलने को लेकर असंतोष जताया था. वे कोई-कोई बहाना बना कर भारत आने से बचने की कोशिश कर रहे थे. फिर वह समय आया, जब आइपीएल में खेलने के लिए विदेशी खिलाड़ियों की लाइन लग जाती है. कई खिलाड़ियों ने तो अपने बोर्ड के रोकने पर राष्ट्रीय टीम से ही अलग होने की धमकी दे दी. इससे जाहिर है कि डब्ल्यूपीएल जब इतना बड़ा ब्रांड हो गया है, तो भविष्य में दूसरे देशों की बड़ी खिलाड़ी भी इसमें खेलना चाहेंगी.
पुरुष आइपीएल में एक टीम में चार विदेशी खिलाड़ी रखने की अनुमति है, लेकिन डब्ल्यूपीएल में पांच विदेशी खिलाड़ियों को रखने का नियम बनाया गया है. उत्तर प्रदेश और दिल्ली की टीमों की कप्तान विदेशी खिलाड़ी हैं. इससे भारतीय खिलाड़ियों को प्रोत्साहन मिलेगा और भारतीय क्रिकेट आगे जायेगा.
यह भी उत्साहजनक है कि विश्व विजेता अंडर-19 महिला टीम की अधिकतर खिलाड़ी कस्बों से हैं, सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग से हैं, वे वंचित पृष्ठभूमि से हैं. जैसे-जैसे डब्ल्यूपीएल की रफ्तार बढ़ेगी, वैसे-वैसे छोटे शहरों से खिलाड़ियों का उभार भी तेज होगा. क्रिकेट बोर्ड का यह फैसला भी ऐतिहासिक है कि अंतरराष्ट्रीय मैचों के लिए पुरुष और महिला खिलाड़ियों को बराबर फीस मिलेगी. अब बोर्ड को आइपीएल की तरह डब्ल्यूपीएल को लेकर भी तीन साल तक धैर्य रखना चाहिए.
सोर्स: prabhatkhabar
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