- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- लता दीदी: अगर मुझे...
सम्पादकीय
लता दीदी: अगर मुझे पुनर्जन्म मिला, तो मैं सैनिक बनूं, ऐसी मेरी इच्छा है
Rounak Dey
9 Feb 2022 1:48 AM GMT
x
तो यह एक महान सेनानी गायिका को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
अमृतत्व पाना हो तो कैसा हो? वैसा हो, जैसा लता दीदी ने पाया। वह हमारे बीच नहीं हैं, ऐसा कभी किसी को लगेगा ही नहीं। स्वर सम्राज्ञी के रूप में शिखरस्थ स्थान उन्हें देवतुल्य बना गया। व्यक्ति अपने जीवन में ही देवतुल्य स्थान कैसे पाता है, यह हमने लता जी के उदाहरण से समझा। कुछ लोग नहीं भी समझे होंगे। लेकिन लता जी के जीवन के सहस्रों पहलुओं में से एक पहलू यह भी था कि वह अपने पुनर्जन्म में क्या बनना चाहती थीं, यह बता गईं। बड़ा अजीब-सा लगता है न! रोचक भी है। हम अपने बारे में आश्वस्त नहीं होते हैं। हमें पता नहीं कि इस जीवन में क्या-क्या काम किए हैं और अगला जन्म हमें कहां मिलेगा।
हिंदू होने के नाते तो यह सोचते ही हैं। इस बारे में हमेशा मन में संशय बना ही रहता है। प्रार्थना करते हैं, हे प्रभु, अगला जन्म देना, मनुष्य बनाना तो भारत में ही जन्म देना। परंतु कर्मों की गति विचित्र होती है। कौन जाने कहां किस योनि में जाए! बहुत कम महान लोग होंगे, जो पुनर्जन्म की बात कर गए हों। मेरी स्मृति में तो कोई ऐसा संस्मरण मिलता नहीं है, जिसमें किसी महापुरुष ने अपने अगले जन्म के बारे में भी लिखा हो, लेकिन लता दीदी ने लिखा।
मराठी में उनकी एक प्रसिद्ध आत्मकथ्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हुई थी-फुले वेचिता। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता, जो गृहस्थ होते हुए भी प्रचारक की भांति जीवन जीते हैं, रवींद्र जोशी, उनका लता दीदी के साथ गहरा स्नेहिल संबंध रहा है और लता दीदी भी उनका बहुत सम्मान करती थीं। यह पुस्तक मुझे जोशी जी ने दी और मैं पढ़कर भाव-विभोर हो उठा था। उसमें उनके अनेक संस्मरण और मनोगत चित्रित हैं, परंतु एक अध्याय ऐसा है जिस पर सबकी दृष्टि टिक जाती है। उस अध्याय का नाम है 'पुनर्जन्म झाला तर' अर्थात अगर पुनर्जन्म हुआ तो। इसमें उन्होंने यह लिखा है कि वह अगले जन्म में क्या बनना चाहेंगी। इसी से लता दीदी के हृदय की देशभक्ति, सैनिक भक्ति, राष्ट्रीय शत्रुओं का अंत करने की उद्दामता और उनका एक अद्भुत शौर्यशाली दुर्गा रूप प्रकट होता है।
पुस्तक में स्व. लता दीदी ने लिखा है कि, 'पुनर्जन्म होता है, यह कौन सिद्ध करके दिखा सकता है? बहुत कठिन है। लेकिन मैं हिंदू हूं। इसलिए मेरा विश्वास है कि पुनर्जन्म होता है। मनुष्य जीवन में जो भी सामान्य इच्छाएं रहती हैं, यश, कीर्ति, प्रताप, धन-दौलत आदि सबकुछ मुझे मिल गया है। मैंने सैनिकों के लिए गीत भी गाए हैं, लेकिन मैंने स्वयं अपने देश की रक्षा नहीं की है। इसलिए यदि मुझे पुनर्जन्म मिला, तो मैं सैनिक बनूं, ऐसी मेरी इच्छा है।'
लता जी यह भी चाह सकती थीं कि अगले जन्म में भी वह गायिका ही बनें। उन्हें दुनिया भर में जो यश, सफलता एवं अमरत्व मिला, वह गायिका होने के कारण ही मिला। लेकिन उन्होंने यह नहीं कहा कि हे भगवान, जैसी महान गायिका आपने मुझे इस जन्म में बनाया, वैसी ही कृपा मुझ पर अगले जन्म में भी करना। लता मंगेशकर ने अपना अगला जन्म सैनिक के रूप में चाहा, ताकि वह भारत के शत्रुओं का अंत कर सकें। उन्होंने कोई गांधीवादी, अहिंसावादी ढकोसला नहीं किया, जिससे शायद उन्हें कोई राजनीतिक लाभ मिलता।
लता जी द्वारा गाया गया ऐ मेरे वतन के लोगो गीत हर राष्ट्रीय कार्यक्रम का अनिवार्य हिस्सा बना रहेगा। सैनिकों के प्रति उनका अनुराग, निष्ठा, भक्ति और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति वीरत्वमय समर्पण अनूठा ही कहा जाएगा। वह इस जीवन में भी सैनिक रूप में रहीं और अगले जन्म में भी सैनिक बनने की इच्छा प्रकट कर विदा हुईं। भारतवर्ष जब स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब भारतरत्न लता दीदी देहरूप में हमारे बीच नहीं हैं, इसका दुख होता ही है। उनका पुनर्जन्म होगा, यह तो हम चाह ही सकते हैं। वह भारत में ही होगा, यह भी विश्वास कर सकते हैं। लेकिन स्व. लता जी की देश रक्षा की भावना से प्रेरणा लेते हुए युवक-युवतियों ने यदि भारतीय सेना में भर्ती होने का अभियान चलाया, तो यह एक महान सेनानी गायिका को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
सोर्स: अमर उजाला
Next Story