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![हिंदी टीवी पत्रकारिता को सम्मान दिलाने वाले विनोद दुआ को आखिरी सलाम हिंदी टीवी पत्रकारिता को सम्मान दिलाने वाले विनोद दुआ को आखिरी सलाम](https://jantaserishta.com/h-upload/2021/12/04/1416189-1.gif)
विजय त्रिवेदी मेरे पत्रकार और फ़िल्मकार मित्र जो एक सीनियर जर्नलिस्ट हैं, ने ट्विटर पर लिखा – 'विनोद मरा नहीं, विनोद मरते नहीं.' सच ही लिखा है, भले ही यह खबर सच हो कि वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ (Veteran Journalist Vinod Dua) ने शनिवार को साढ़े चार बजे दिल्ली के अपोलो अस्पताल में आखिरी सांस ली, लेकिन विनोद दुआ, उनकी पत्रकारिता, उनकी जांबाज़ी, उनकी हिम्मत मर नहीं सकती. अपने 35 साल के करियर में उनका यह अंदाज़ सैकड़ों पत्रकारों में छूट गया है, जो खत्म नहीं हो सकता. उसे खत्म किया नहीं जा सकता. विनोद दुआ हिंदी टीवी पत्रकारिता का सबसे बड़ा नाम यूं ही नहीं थे. उनसे ज़्यादा कैमरा फ्रेंडली एंकर शायद ही कोई दूसरा रहा हो. आज के दौर में जब ज़्यादातर एंकर टीवी प्रॉम्पटर के बिना नहीं चल सकते हों, उसमें विनोद दुआ ने कभी प्रॉम्पटर का इस्तेमाल नहीं किया, क्योंकि किसी भी कार्यक्रम या स्टोरी के लिए उनके दिमाग में तस्वीर साफ होती थी और वो वही बोलते थे, चाहे आपको पसंद आए या नहीं.