सम्पादकीय

29 देशों पर लैम्डा का कहर, क्या वाकई खतरनाक है ये वैरिएंट?

Tara Tandi
14 July 2021 12:48 PM GMT
29 देशों पर लैम्डा का कहर, क्या वाकई खतरनाक है ये वैरिएंट?
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पेरू और हंगरी दो ऐसे देश हैं जो कोरोना महामारी से सबसे बुरी तरह प्रभावित हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | पेरू (Peru) और हंगरी (Hungary) दो ऐसे देश हैं जो कोरोना महामारी (Corona Pandemic) से सबसे बुरी तरह प्रभावित हैं. पेरू में हर एक लाख की आबादी पर 596 लोगों की मौत हुई है, वहीं हंगरी में 307. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक लैम्डा (Lambda Variant) 29 देशों में अपना कहर बरपा रहा है, जिनमें पेरू और हंगरी बुरी तरह प्रभावित हुए देशों में शामिल हैं. महामारी का दंश झेल रहा पेरू, खराब हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की वजह से कोरोना से हो रही भयानक मौतों का सामना कर रहा है. पेरू में आईसीयू बेड्स की कमी, वैक्सीनेट करने की प्रक्रिया में उदासीनता और टेस्टिंग कैपेसिटी में भारी कमी इसके प्रमुख कारण हैं.

पेरू की खराब आर्थिक हालात के मद्देनजर वहां के घरों में रहने वाले लोगों की संख्या भी इतनी ज्यादा है कि लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने में सक्षम नहीं हो पाते हैं. इतना ही नहीं खराब माली हालत की वजह से लोगों का काम पर जाना भी संभव नहीं हो पाता है. पेरू पर इन दिनों लैम्डा वैरिएंट का कहर कहीं ज्यादा है. आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2021 तक पेरू में 97 फीसदी मामले लैम्डा वेरिएंट से संक्रमित पाए गए हैं.

लैम्डा के कहर से प्रभावित हैं विश्व के कई देश

लैम्डा वेरिएंट 29 देशों को अपनी चपेट में ले चुका है. इसकी वजह से कम्यूनिटी ट्रांसमिशन कई देशों में हो रहा है. यही वजह है कि 14 जून 2021 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे ग्लोबल वैरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट (Variant Of Interest) करार दिया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के फैसले के बाद 23 जून को पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने कई प्रमुख म्यूटेशन की वजह और कई देशों में फैलने की वजह से इस वैरिएंट को अंडर इन्वेस्टिगेशन (Variant Under Investigation) करार दिया है. वैसे यूके में लैम्डा वैरिएंट के महज आठ मामले रजिस्टर हुए हैं और इनमें से सारे मामले विदेशों में घूमने वाले नागरिकों के हैं.

लैम्डा वेरिएंट कितना खतरनाक है?

कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि म्यूटेशन के कई असमान्य संयोजन की वजह से लैम्डा वेरिएंट का संक्रमण कहीं ज्यादा होता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) वैरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट (Variant Of Interest) वायरस के प्रकार को तब करार देता है जब संक्रमण की रफ्तार, बीमारी की घातकता और इम्यूनिटी से बचने से लेकर वैक्सीन और डायग्नोस्टिक टेस्ट को चकमा देने की क्षमता उसमें दिखने की गुंजाइश हो.

लैम्डा वेरिएंट में स्पाइक प्रोटीन पर सात म्यूटेशन देखे गए हैं. लैम्डा वेरिएंट के आउटर शेल्स में मशरूम के आकार का प्रोजेक्शन वायरस को इंसान के सेल से आसानी से जुड़ने में सहुलियत पैदा करता है. इसलिए शरीर में मौजूद एंटीबॉडी के लिए वायरस पर आक्रमण करना और उसे न्यूट्रलाइज करना कहीं मुश्किल होता है. वैसे बिहार में कार्यरत फिजिशियन और हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ हेमंत कहते हैं कि इंसान के इम्यून सिस्टम में एंटीबॉडी के अलावा टी सेल्स भी होते हैं जो वायरस से निपटने में कारगर भूमिका निभाते हैं. इसलिए लैम्डा वैरिएंट के लिए इम्यूनिटी को चकमा देना आसान नहीं होता.

लैम्डा वेरिएंट को लेकर स्टडी क्या कहता है?

लैम्डा की घातकता को लेकर अभी तक कोई प्रकाशित अध्ययन सामने नहीं आया है. कुछ प्रीप्रिंट पेपर्स लैम्डा वैरिएंट को लेकर सामने आए हैं जो कुछ वैज्ञानिकों द्वारा रिव्यू के बाद ही किसी जर्नल में प्रकाशित किए जा सकते हैं. वैसे ग्रॉसमैन स्कूल ऑफ मेडिसीन न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के प्रिप्रिंट में दावा किया गया है कि फाइजर और मार्डना वैक्सीन लैम्डा वेरिएंट पर ऑरिजिनल वैरिएंट की तुलना में दो से तीन गुना कम प्रभावशाली हैं. लेकिन रिसर्चर फाइजर और मॉडर्ना को कारगर मान रहे हैं और उसकी वजह वायरस को खत्म करने में एंटीबॉडी के अलावा टी सेल्स के प्रभावों का भी हवाला दिया जा रहा है. दरअसल रिसर्चर मानते हैं कि इम्यून सिस्टम के बहुआयामी प्रभाव को देखना जरूरी होता है जो वायरस को निष्क्रिय करने में कारगर होता है. पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के रिसर्च के मुताबिक लैम्डा डेल्टा से ज्यादा खतरनाक है, हालांकि इसके प्रमाण नहीं मिले हैं. पीएचई लैम्डा पर अध्ययन कर रहा है और इसे फिलहाल लैम्डा ऑफ इंट्रेस्ट ही करार दे रहा है. दरअसल लैम्डा अभी तक वैरिएंट ऑफ कंसर्न की श्रेणी में नहीं रखा गया है.

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