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- जन्नत-मय्यत और जहन्नुम...
संयम श्रीवास्तव।
गर फिरदौस बर रुये ज़मीं अस्त/ हमी अस्तो हमी अस्त' कश्मीर के बारे में यह लाइन आपने कई बार सुनी और पढ़ी होगी. इसका मतलब है धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं है, यहीं है. लेकिन अब इस स्वर्ग को 90 के दशक वाली काली नज़र लग रही है. जन्नत-मय्यत और जहन्नुम के बीच से गुजरता लाल कश्मीर (Kashmir) इसलिए क्योंकि धरती के जिस इलाके कश्मीर को कभी जन्नत कहा जाता था आज वहां मय्यत और मातम पसरा हुआ है. आतंकियों के गोली का शिकार हुए लोगों के परिवारवाले बिलख रहे हैं और सवाल कर रहे हैं कि आखिर उनकी गलती क्या थी? जहन्नुम इसलिए क्योंकि इन सिलसिलेवार हत्याओं से अब वहां रह रही गैर कश्मीरी मुस्लिम आबादी और बाहर के लोग इस डर के साए में जी रहे हैं कि कहीं अब उनकी भी हत्या ना हो जाए. बीते एक हफ्ते में कश्मीर में 7 लोगों की हत्या कश्मीर को लाल कश्मीर बनाती है. क्योंकि इनके खून से अब कश्मीर की बर्फीली सफेद वादी चटक लाल होती जा रही है.