सम्पादकीय

कुरुक्षेत्र: सांस्कृतिक संगठन को मिला राजनीतिक नेतृत्व, सहज होंगे सरकार और संघ के संबंध

Gulabi
20 March 2021 10:52 AM GMT
कुरुक्षेत्र: सांस्कृतिक संगठन को मिला राजनीतिक नेतृत्व, सहज होंगे सरकार और संघ के संबंध
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बेंगलुरू में आयोजित प्रतिनिधि सभा की बैठक

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बेंगलुरू में आयोजित प्रतिनिधि सभा की बैठक में दत्तात्रेय होसबोले को संगठन का अगला सर कार्यवाह चुना गया है। इससे यह संभावना बलवती हो गई है कि संघ और सरकार के रिश्ते ज्यादा सहज और मजबूत होंगे। साथ ही अपेक्षाकृत युवा होसबोले को संघ में दूसरे नंबर का सबसे शक्तिशाली पद मिलने के कई मायने हैं।

उम्मीद है कि इससे संगठन को न सिर्फ और अधिक विस्तार मिलेगा बल्कि इसकी रीति नीति और कामकाज में भी बदलते दौर के मुताबिक जरूरी बदलाव भी होंगे। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की पृष्ठभूमि के दत्तात्रेय होसबोले के सर कार्यवाह बनने पर संघ के ही एक पुराने स्वयंसेवक की टिप्पणी भी की है। उन्होंने कहा 'गैरराजनीतिक और सांस्कृतिक संगठन की कार्यकारी कमान अब एक राजनीतिक व्यक्ति के हाथों में आने जा रही है।'
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पद सोपान में सर कार्यवाह का स्थान सर संघचालक के बाद दूसरे नंबर का है। लेकिन संगठन की समस्त कार्यकारी शक्तियां इसी पद में निहित हैं। संघ परिवार के समस्त अनुषांगिक संगठनों से संबंधित निर्णयों में सर कार्यवाह की अति महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मौजूदा सर कार्यवाह सुरेश राव जोशी जिन्हें भैयाजी जोशी के नाम से जाना जाता है, करीब 12 वर्ष से इस पद पर हैं। आमतौर पर संघ में तीन से ज्यादा कार्यकाल किसी पदाधिकारी को नहीं मिलते, लेकिन भैया जी जोशी लगातार चार कार्यकाल पूरे करने के बाद अब पदमुक्त होंगे।
संपूर्ण संघ प्रतिष्ठान और उससे जुड़े अनुषांगिक संगठनों जिसमें भाजपा भी शामिल है, में भैयाजी जोशी का बेहद सम्मान है।उन्होंने यह पद तब संभाला था जब सर संघचालक के पद से के.एस. सुदर्शन की विदाई हुई थी और मौजूदा सर संघचालक मोहन भागवत ने पदभार ग्रहण किया था। भागवत और जोशी के बीच भी बहुत मधुर रिश्ते हैं और सर कार्यवाह पद पर भी भागवत की इच्छा से ही जोशी आए थे। यह पद मोहन भागवत के सर संघचालक बनने के बाद रिक्त हुआ था। जबकि उस समय इस पद के प्रबल दावेदार मदनदास देवी थे जो वरिष्ठतम तत्कालीन सह कार्यवाह थे। जोशी के कार्यकाल में सर संघचालक के साथ उनकी अच्छी निभी।
विद्यार्थी परिषद की पृष्ठभूमि के नाते दत्तात्रेय होसबोले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी बेहद करीबी माना जाता है। जबकि जोशी संघ में मोदी से वरिष्ठ थे और उन्होंने ही नरेंद्र मोदी को संघ में दीक्षित और प्रशिक्षित किया था। संघ के भीतरी सूत्रों के मुताबिक होसबोले आधुनिक सोच वाले व्यक्ति हैं और वह संघ की पुरानी लकीर से बंधे रहने वाले नहीं हैं। इस लिहाज से भी वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों और कार्यशैली के करीब माने जाते हैं।
संघ के एक जानकार के मुताबिक हालांकि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद संघ और सरकार के रिश्तों में कोई ज्यादा बिगाड़ नहीं रहा, लेकिन फिर भी कुछ मुददों पर संघ को सरकार के कुछ फैसलों ने असहज किया। लेकिन सर संघचालक मोहन भागवत और सर कार्यवाह भैयाजी जोशी ने सरकार को असहज करने वाला कोई कदम नहीं उठाया। अब दत्तात्रेय होसबोले के आने के बाद सरकार और संघ के संबंध और भी ज्यादा सहज और तालमेल वाले होंगे।
संघ से लंबे समय तक जुड़े रहे और नाना जी देशमुख के करीबी एक विश्लेषक का मानना है कि बदलते दौर में जिस तरह की चुनौतियां संघ के सामने आ रही हैं, जिसमें सबसे बड़ी चुनौती संघ की शाखाओं का निस्तेज होते जाना है, दत्तात्रेय होसबोले अब उनसे बेहतर तरीके से निपट सकेंगे। साथ ही क्योंकि वह विद्यार्थी परिषद से आए हैं, इसलिए भाजपा के तमाम मौजूदा नेताओं से उनके निजी और करीबी रिश्ते भी हैं जो आमतौर पर संघ की ही सीढ़ी से ऊपर पहुंचने वाले प्रचारकों में जिनका अभाव होता है।
इस लिहाज से संघ और भाजपा के संबंध भी ज्यादा सहज होंगे। होसबोले सकारात्मक आधुनिक विचारों को अपनाने के पक्ष में हैं, इसलिए मुमकिन है कि संघ देश के तमाम हिस्सों और वर्गों में अपना और भी विस्तार कर सके और युवाओं को आकर्षित करने के लिए अपनी रीति नीति में भी कुछ बदलाव करे। मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले दत्तात्रेय होसबोले दक्षिण भारत में भी संघ के विस्तार को गति प्रदान कर सकते हैं, ऐसी उम्मीद भी संघ और भाजपा से जुड़े तमाम लोगों को है।

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