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- कुफ्र टूटा खुदा-खुदा...
आदित्य नारायण चोपड़ा: आखिरकार खुदा-खुदा करके अभिनेता शाहरुख खान के पुत्र आर्यन खान की जमानत हो गई है। आर्यन की जमानत की अपील करने के लिए जिस तरह देश भर के नामी-गिरामी वकीलों ने जिरह की उससे यह तो पता चलता है कि कानून कितना निष्ठुर होता है मगर दूसरी तरफ यह भी जाहिर होता है कि यदि कोई जांच एजेंसी किसी आरोपी के पीछे पड़ जाये तो वह किस तरह 'तिल का ताड़' बना सकती है। आर्यन को प्रतिबन्धित नशीले पदार्थ के सेवन के आरोप में नारकोटिक्स ब्यूरो ने गिरफ्तार किया था। प्रारम्भिक तौर पर उस पर यही आरोप था परन्तु जैसे-जैसे आर्यन के मामले की अदालती प्रक्रिया खिंचती रही वैसे-वैसे ही उस पर नये आरोप भी लगते रहे और सबसे अन्त में उस पर यह संगीन आरोप लगा कि उसके सम्बन्ध अन्तर्राष्ट्रीय ड्रग माफिया के साथ थे और वह भारत में थोक के हिसाब से नशीले पदार्थ मंगाना चाहता था। सबसे हैरत की बात यह है कि जब आर्यन को ब्यूरो ने गिरफ्तार किया था तो उसके पास से किसी प्रकार का नशीला पदार्थ बरामद नहीं हुआ था और न ही उसने नशा किया हुआ था। मगर ब्यूरो ने विगत 2 अक्टूबर को जिस समुद्री नौका में हो रही कथित नशे की पार्टी से आर्यन को गिरफ्तार किया था तो उसी से अरबाज मर्चेंट व मुनमुन धमीचा नाम के युवक-युवती के साथ 17 अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया था। अरबाज मर्चेंट आर्यन का बचपन का मित्र है और उसके पास से ब्यूरो ने छह ग्राम चरस बरामद की। इस चरस की बरामदगी को ब्यूरो ने आर्यन के पास से हुई बरामदगी जैसे ही बताने की कोशिश की और दलील दी कि यह एक एेसा षड्यन्त्र था जिसकी मार्फत भारी मात्रा में ड्रग तस्करी करने की योजना बनाई जा रही थी। ब्यूरो का कहना है कि आर्यन पिछले दो साल से नशीले पदार्थों का सेवन कर रहा था और वह इसकी थोक मात्रा का जुगाड़ कर रहा था। जाहिर है इन सब दलीलों की तसदीक अदालत की अगली सुनवाइयों में होगी जिनके आधार पर दूध का दूध और पानी का पानी होगा। मगर इतना निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि आर्यन की गिरफ्तारी के मामले को जिस तरह ब्यूरो ने शुरू से लेकर अब तक विभिन्न तर्कों के दायरे में रखने का प्रयास किया वे भारत के सामान्य नागरिक के गले नहीं उतर रहे हैं। इसकी असली वजह यह है कि भारत का सामान्य नागरिक अपने गांव से लेकर शहर तक नशेड़ियों को देखता रहता है और उनकी शख्सियत से वाकिफ रहता है तथा पुलिस का उनके प्रति व्यवहार भी जानता है। दूसरे नारकोटिक्स ब्यूरो का मुख्य कार्य देश में नशीले पदार्थों की तस्करी रोकना है और उन मोटे व्यापारियों व तस्करों को पकड़ना है जो इनकी तिजारत करके नई पीढ़ी को नशे की लत में डुबो देना चाहते हैं। यह अभी तक रहस्य बना हुआ है कि गुजरात के मून्द्रा बन्दरगाह से जो तीन हजार किलो नशीला पदार्थ पकड़ा गया था उस मामले में नारकोटिक्स ब्यूरो ने क्या किया? अतः जब नार्कोटिक्स ब्यूरो के अधिकारी समीर वानखेड़े पर आर्यन की गिरफ्तारी के मामले में इस आशय के आरोप लगाये गये कि यह सारा मामला धन वसूली के लिए रचा गया है तो ड्रग विरोधी अभियान पर सन्देह के बादल मंडराने लगते हैं। मगर वानखेड़े पर लगे आरोपों की जांच भी ब्यूरो के उच्च स्तरीय अधिकारी कर रहे हैं जिसका नतीजा जल्दी ही आम जनता के सामने आ जायेगा। लेकिन इसमें तो कोई दो राय नहीं हैं कि आर्यन एक बड़े बाप का बेटा है और उसकी गिरफ्तारी उसके पूरे परिवार के लिए एक 'अजाब' बन गई है और इस तरह बनी है कि स्वयं शाहरुख खान की प्रतिष्ठा को भी भारी धक्का पहुंचा है। इस खोई प्रतिष्ठा की भरपाई कोई नहीं कर सकता अतः ब्यूरो को पूरे मामले में अब केवल ठोस सबूतों के आधार पर ही आगे बढ़ना चाहिए और आर्यन के किसी षड्यन्त्र में शामिल होने के फलसफे पर उपलब्ध पक्के साक्ष्यों के सहारे ही बात को आगे बढ़ाना चाहिए। संपादकीय :धुआं-धुआं न हो उत्सवसीमा पर चीन की बगुला भक्तिपदोन्नति में आरक्षण का मुद्दाक्रिकेट, कश्मीर और पाकिस्तानजोखिम भरा है स्कूल खोलनाआइये मिलाएं क्लब की Life Lines सेखैर यह देखने का काम विद्वान वकीलों का है क्योंकि वे ही सही तरीके से जानते हैं कि नशीले पदार्थों के अवरोध के लिए बने कानून के पेंच के भीतर पेंच क्या हैं। सामान्य नागरिक तो इस हकीकत से हैरतजदा है कि नशीले पदार्थों की तस्करी करने के लिए किसी नौका पर पार्टी को आयोजित कर षड्यन्त्र रचने का सबब क्या हो सकता है और वह भी तब जबकि नशीले पदार्थों की तस्करी का अड्डा गुजरात का मूंद्रा बन्दरगाह बना हुआ है। मगर आर्यन के मामले में एक और गंभीर सवाल पैदा हो रहा कि क्या उसकी नौका पार्टी में उपस्थिति खुद किसी साजिश का हिस्सा थी जिससे इस अभिनेता पुत्र को फांसा जा सके और उसकी युवा वय की जोश और रवानगी का फायदा उठाया जा सके। क्योंकि 23 साल की उम्र का युवक किसी भी रौ में आसानी से बह जाता है। मगर पूरे मामले को देख कर तकदीर के लिखे को कैसे कोई नजर अन्दाज कर सकता है। ''पकड़े जाते हैं फरिश्तों के लिखे पर नाहकआदमी कोई हमारा दमे तहरीर भी था।''