सम्पादकीय

वुहान में कोविड की वापसी

Triveni
4 Aug 2021 4:03 AM GMT
वुहान में कोविड की वापसी
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चीन के जिस वुहान शहर से कोविड-19 वायरस पूरी दुनिया में फैला,

चीन के जिस वुहान शहर से कोविड-19 वायरस पूरी दुनिया में फैला, वहां अब डेल्टा वेरिएंट के मामलों का मिलना बताता है कि इस महामारी को लेकर किस स्तर की सावधानी बरतने और कितनी व्यापक चिकित्सा तैयारियों की जरूरत है। खबर है कि चीन के कई प्रदेशों में डेल्टा वेरिएंट मिले हैं, बल्कि हुन्नान प्रांत के एक शहर को तीन दिनों के लिए सख्त लॉकडाउन के हवाले करना पड़ा है। साल 2019 के मध्य में ही चीन में कोविड-19 का पहला मामला सामने आया था, लेकिन महीनों तक उसने इसकी परदापोशी की, बल्कि आज तक कर रहा है, और इंसानी दुनिया उसकी कीमत चुका रही है। बेशक, उसके पास संसाधनों की कमी नहीं है और वह वुहान के एक-एक व्यक्ति की जांच करने और जरूरतमंदों को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने में सक्षम है, लेकिन दुनिया के अन्य देश ऐसी स्थिति में नहीं हैं। पिछले दो साल में कई देशों की माली हालत दयनीय हो चुकी है। ऐसे में, बार-बार कोरोना की लहरें आती रहीं, तो उनके लिए खड़ा हो पाना मुश्किल होगा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अलावा तमाम महामारी विज्ञानी आगाह करते आ रहे हैं कि इस महारोग पर पूर्ण नियंत्रण पाने में अभी कई वर्ष लगेंगे, इसलिए दुनिया को कुछ सावधानियों के साथ ही आगे बढ़ना होगा। विडंबना यह है कि विकसित मुल्कों के शिक्षित लोग भी नागरिक आजादी की आड़ में महामारी की गंभीरता की अनदेखी कर रहे हैं। दुनिया के कई सारे मुल्कों को अब तक वैक्सीन की एक खुराक भी नहीं मिल सकी है, वहीं अमेरिका में करोड़ों लोगों ने अपने नागरिक अधिकारों का इस्तेमाल कर इससे दूरी बना रखी है। अब जब वहां फिर से संक्रमण में तेज वृद्धि दिख रही है, तब पाया गया है कि अस्पतालों में दाखिल होने वाले 97 फीसदी से भी अधिक इसी तबके के लोग हैं, जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई।
चीन और अमेरिका दुनिया में सबसे अधिक पूर्ण टीकाकरण करने वाले देशों में हैं, तब वहां महामारी पर काबू पाने में इतनी दुश्वारियां पेश आ रही हैं। ऐसे में, भारत जैसे देश को खास सतर्कता बरतनी होगी, क्योंकि विशाल आबादी, सघन जनसंख्या और अपर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं पहले से इसकी बड़ी चुनौतियां हैं। अभी भी यहां बमुश्किल आठ फीसदी लोगों का पूर्ण टीकाकरण हो सका है। ऐसे में, अब जब स्कूल-कॉलेज खुल रहे हैं और तमाम कारोबारी संस्थान अपना काम करना शुरू कर चुके हैं, तब विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है। और यह काम कार्यपालिका का है। मगर हम नहीं भूल सकते कि इसके लिए भी कई बार न्यायपालिका को हस्तेक्षप करना पड़ा है। निस्संदेह, हमारा तंत्र चीन की तरह काम नहीं कर सकता, लेकिन अगले कई महीनों तक हमें सख्त निगरानी करनी पडे़गी, क्योंकि तीसरी लहर की आशंकाएं चीन और अमेरिका के ताजा उदाहरणों से गाढ़ी हुई हैं। वह भी तब, जब हम दूसरी लहर से ही अभी उबर नहीं पाए हैं। आठ राज्यों में पॉजिटिव मामलों की दर 10 फीसदी से ज्यादा है। इसलिए बेफिक्री और संकीर्ण सियासत के बजाय यह समय महामारी को लेकर संवेदनशील नजरिया अपनाने का है। हमें तेजी से अधिकाधिक लोगों का टीकाकरण करना होगा। डब्ल्यूएचओ चेता चुका है कि जब तक दुनिया के किसी खित्ते में कोविड वायरस सक्रिय हैं, कोई देश या सरकार निश्चिंत नहीं हो सकती। वुहान के नए मामले इसकी तस्दीक करते हैं।


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