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महामारी की एक और लहर
नवंबर, 2021 के अंत तक कोविड-19 के मामलों में गिरावट देखी जा रही थी और कई लोगों को यह उम्मीद थी कि जल्दी ही जीवन सामान्य हो जाएगा। लेकिन ओमिक्रॉन ने लगभग सब कुछ बदल दिया और अब हर रोज संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। भारत में रोजाना लगभग 35,000 मामले दर्ज किए जा रहे हैं, केवल दो हफ्ते में लगभग 7,000 मामलों से पांच गुना। राष्ट्रीय स्तर पर टेस्ट पॉजिटिविटी रेट (टीपीआर) दो फीसदी को पार कर गया है। दिल्ली और मुंबई में वृद्धि तेज है, जिसने क्रमशः पांच फीसदी और 15 फीसदी की टीपीआर को पार कर लिया है।
हालांकि भारत ने आधिकारिक तौर पर केवल 1,700 ओमिक्रॉन मामलों की पुष्टि की सूचना दी है, जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा मामलों में से अधिकांश (50 से 80 फीसदी) मामले ओमिक्रॉन के कारण हैं। हालांकि आरटी-पीसीआर से सार्स कोव-2 के सभी वैरिएंट का पता/पुष्टि की जा सकती है, लेकिन वह ओमिक्रॉन है, डेल्टा है या कोई अन्य प्रकार है-यह जानने के लिए जीनोमिक सिक्वेंसिंग की जरूरत पड़ती है। जीनोमिक सिक्वेंसिंग वाले कुल मामलों में ओमिक्रॉन की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है।
दिल्ली में सभी मामलों में से 80 फीसदी मामले ओमिक्रॉन के हैं। दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन और अन्य देशों के अनुभवों के अनुसार, ऐसी आशंका है कि जल्द ही ओमिक्रॉन पूरे भारत में डेल्टा वैरिएंट की जगह ले लेगा। पिछले छह हफ्तों में, ओमिक्रॉन के बारे में बहुत सारे वैज्ञानिक आंकड़े सामने आए हैं और इसे लेकर समझ बढ़ी है। डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन तीन से चार गुना अधिक संक्रमणीय है। यानी अगर डेल्टा से प्रभावित एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को संक्रमित करने में सक्षम होता है, तो ओमिक्रॉन से संक्रमित प्रत्येक व्यक्ति तीन से चार लोगों को संक्रमित कर सकता है।
हालांकि सौभाग्य से ओमिक्रॉन हल्के रोग का कारण बनता है। विशेष रूप से, जिन्हें पिछली बार संक्रमण हुआ था और/या जिन्होंने कोविड-19 का टीका लगवाया है, उनके हल्के संक्रमण की ही आशंका है। पिछला कोविड-19 संक्रमण या टीकाकरण रोग के जोखिम को कम करता है। टीकाकरण न होने पर जोखिम अधिक है, लेकिन टीकाकरण होने पर भी संक्रमण हो सकता है। दक्षिण अफ्रीका से एक और सीख मिलती है कि ओमिक्रॉन के मामले बहुत तेजी से बढ़ते हैं और उतनी ही तेजी से आम तौर पर दो या तीन हफ्तों में गिरते भी हैं। संक्रमण के मामलों में वृद्धि होने के बावजूद अस्पताल में भर्ती होने की नौबत नहीं आती है।
इस बढ़ती प्रवृत्ति से हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि दिल्ली (दिल्ली के लिए पांचवीं लहर होगी) और मुंबई में नई लहर आई है। यह भारत के लिए एक नई लहर का शुरुआती संकेत है। मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन अस्पताल में भर्ती होने की दर कम बनी हुई है। चुनिंदा इलाकों में मामले बहुत तेजी से बढ़ सकते हैं। लेकिन ऐसी आशंका नहीं है कि अस्पतालों पर ज्यादा दबाव पड़ेगा। इसके अलावा, तीसरी लहर पूरे देश में एक साथ नहीं आ सकती है। प्रारंभ में, प्रमुख शहर अन्य बड़े शहरों की तुलना में अधिक प्रभावित हो सकते हैं।
छोटे जिलों और ग्रामीण भारत में कुछ हफ्तों के अंतराल के बाद संक्रमण के मामले में वृद्धि संभव है। हालांकि कब और किस हद तक संक्रमण होगा, कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता, इसलिए हम सबको तैयार रहने की जरूरत है। हाल ही में 15 से 18 वर्ष के बच्चों के लिए टीकाकरण की शुरुआत हुई है, जो इस आयु वर्ग के 7.4 करोड़ किशोरों को टीके के लिए योग्य बनाता है। फिर 10 जनवरी से स्वास्थ्य कार्यकर्ता, अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता और सह-रुग्णता वाले 60 से अधिक उम्र के लोगों को टीके की तीसरी खुराक दी जाएगी।
टीकाकरण गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने से बचाता है। हालांकि संक्रमण को रोकने में यदि टीकों की कोई भूमिका है, तो वह बहुत सीमित है। इसलिए पूरी तरह टीकाकरण के बाद भी यह गारंटी नहीं है कि व्यक्ति संक्रमित नहीं होगा। संक्रमण रोकने के लिए नाक और मुंह को ढकने वाले मास्क पहनने की जरूरत है, जरूरी न हो, तो यात्रा करने से बचना चाहिए, यदि किसी से मिलना जरूरी हो, तो बंद स्थानों के बजाय खुली जगह में मिलना बेहतर होगा। फिलहाल आशावादी होने का कारण है।
बड़े शहरों में मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन सभी शहरों में संक्रमण बढ़ रहा है। पर हो सकता है कि कुल राष्ट्रीय संख्या बहुत अधिक न हो। कोविड-19 संक्रमण को बीमारी से अलग करने का मतलब है कि अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या कम रह सकती है। कुछ शहरों में अस्पतालों की स्वास्थ्य सेवा पर दबाव पड़ सकता है, लेकिन यह उस तरह प्रभावित नहीं होगा, जैसा हमने दूसरी लहर के दौरान देखा था। समय आ गया है कि हर कोई व्यक्तिगत स्तर पर कोविड उचित व्यवहार का पूरी तरह पालन करे, खासकर यदि आपके जिले में मामले बढ़ रहे हैं।
पूरी तरह से टीके लगवाएं और यदि आप सावधानी बरतना चाहते हैं, और उसके योग्य हैं, तो तीसरी डोज जरूर लगवाएं। यदि कोई लक्षण दिखता है, तो जांच करवाएं। यदि जांच करवाने में देरी होती है, तो मास्क लगाएं और तब तक लोगों से न मिलें, जब तक रिपोर्ट न आ जाए। समय आ गया है कि उच्च जोखिम वाले लोग अपनी रक्षा स्वयं करें। सरकार की ओर से तैयारियों की समीक्षा करने का समय आ गया है। कुछ प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता हो सकती है; हालांकि, सिर्फ दैनिक नए मामले मानदंड नहीं होने चाहिए और निर्णय लेने के लिए अस्पताल में भर्ती होने की दर पर नजर रखनी चाहिए।
आर्थिक गतिविधियों के बीच संतुलन बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा कि प्रतिबंध गरीबों को प्रभावित नहीं करे। प्रतिबंध राज्यव्यापी नहीं, बल्कि स्थानीय स्तर पर, क्षेत्र विशेष के लिए होना चाहिए। सरकारों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को मजबूत करना चाहिए, जहां लोग जरूरत पड़ने पर जाकर परामर्श ले सकें और जांच करवा सकें। आने वाले दिनों में देश में कोविड-19 के मामले बढ़ने की आशंका है। इसलिए सतर्क रहने की जरूरत है, पर घबराने की जरूरत नहीं है। अगर हर कोई कोविड संबंधी उचित व्यवहार का पालन करता है, तो यह लहर न्यूनतम प्रभाव के साथ खत्म हो जाएगी। आइए, हम में से हर व्यक्ति इस लहर का मुकाबला करने के लिए अपनी ओर से प्रयास करें।
क्रेडिट बाय अमर उजाला
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