सम्पादकीय

जानें- रूस और यूक्रेन की लड़ाई में पश्चिमी देशों पर किस बात का दबाव बना रहा है अमेरिका, सफल होने पर क्‍या पड़ेगा प्रभाव

Rani Sahu
8 March 2022 12:55 PM GMT
जानें- रूस और यूक्रेन की लड़ाई में पश्चिमी देशों पर किस बात का दबाव बना रहा है अमेरिका, सफल होने पर क्‍या पड़ेगा प्रभाव
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रूस और यूक्रेन की लड़ाई में पश्चिमी देशों पर किस बात का दबाव बना रहा है अमेरिका, सफल होने पर क्‍या पड़ेगा प्रभाव

लविव इर्पिन

रूस और यूक्रेन की जंग में अमेरिका का मकसद अब रूस को किसी तरह से सबक स‍िखाने का रह गया है। इसके लिए वो लगातार पश्चिमी देशों पर इस बात को लेकर दबाव बना रहा है कि वो रूस से आने वाले तेल को बैन कर दें। ऐसा करने पर रूस को आर्थिक चपत लग सकती है। इस जंग की वजह से यूक्रेन में फंसे लोगों को भी समस्‍या का सामना करना पड़ रहा है।

रूस की धमकी
रूस ने अमेरिका के इस बयान पर धमकी दी है कि यदि ऐसा किया गया तो वो यूरोप खासतौर पर जर्मनी को होने वाली गैस की सप्लाई को रोक देगा। आपको बता दें कि रूस ने जर्मनी और यूरोप तक अपनी गैस सप्लाई के लिए नार्ड स्ट्रीम 2 नाम से एक नई पाइपलाइन बिछाई है। इस पर रूस ने अरबों डालर का खर्च किया है। अमेरिकी दबाव के बाद जर्मनी ने इस पाइपलाइन को फिलहाल रोकने को फैसला लिया है। रूस ने अपने बयान में न सिर्फ अमेरिका को बल्कि जर्मनी को भी सीधेतौर पर धमकी दी है।
फैसला लेने का पूरा अधिकार
गौरतलब है कि यूरोप की पूरी गैस की खपत को पूरा करने में रूस की हिस्सेदारी करीब 40 फीसद है। रूस के डिप्टी पीएम एलेक्जेंडर नोवाक ने साफ कहा है कि यदि यूरोप इस तरह का कोई भी फैसला लेता है तो उनके पास भी अपना फैसला लेने को पूरा अधिकार है। रूस भी इस तरह का फैसला लेते हुए यूरोप को नार्ड स्ट्रीम 1 से होने वाली गैस की सप्लाई को रोक देगा। नोवाक ने अपने बयान में यहां तक कहा है कि यदि अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने रूस के आयल इंपोर्ट को रोकने काफैसला लिया तो क्रूड आयल के दाम 300 डालर प्रति बैरल से बढ़कर सीधे डबल हो जाएंगे।
यदि रूस के तेल पर लगा बैन
आपको यहां पर ये भी बता दें कि यूक्रेन से छिड़ी जंग के बाद अमेरिका समेत कई दूसरे देशों ने विदेशों में मौजूद रूस की संपत्तियों को फ्रीज करने का फैसला लिया है। इससे रूस को आर्थिक तौर पर काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में यदि रूस के आयल इंपोर्ट पर बैन लगा दिया गया तो उसकी अर्थव्यवस्था की कमर टूट जाएगी। मौजूदा समय में रूस की कमाई को यही एक बड़ा जरिया है। बैंक आफ अमेरिका के विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि अमेरिका और यूरोपीय देश रूस के आयल इंपोर्ट को बैन करते हैं तो विश्व की आयल मार्किट में हर रोज करीब 5 मिलीयन बैरल से भी अधिक की कमी हो सकती है। रूस यूक्रेन युद्ध के चलते विश्व बाजार में तेल की कीमतें 200 डालर प्रति बैरल तक बढ़ जाएंगी। मंगलवार 8 मार्च को ही तेल की कीमतें विश्व बाजार में करीब 14 वर्ष के सबसे उच्चतम स्तर पर हैं।
रूस के हमले से बढ़ गए रिफ्यूजी
राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस बारे में फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन के नेताओं से वीडियो कांफ्रेस से बात की है। इसमें उन्होंने रूस से आयल इंपोर्ट पर बैन लगाने को अपना पूरा समर्थन दिया है। यहां पर ये भी बताना जरूरी है कि यूरोप के कई देश अपनी ऊर्जा खपत को पूरा करने के लिए पूरी तरह से रूस पर ही निर्भर हैं। रूस ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप पर सबसे बड़ा हमला किया है। इस युद्ध की वजह से करीब 17 लाख रिफ्यूजी पैदा हो गए हैं। इस युद्ध की वजह से वहां रह रहे हजारों विदेशी छात्रों की जिंदगी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इसमें भारत पाकिस्तान के छात्र भी फंसे हैं।
जापान ने सीज की रूस की संपत्ति
रूस के रवैये को देखते हुए इनकी तादाद और भी बढ़ सकती है। इस लड़ाई के बाद जापान ने भी रूस और बेलारूस से जुड़े करीब 32 अधिकारियों की संपत्ति को सीज करने का फैसला लिया है। इनमें इन दोनों देशों की कंपनियों के एग्जीक्यूटिव भी शामिल हैं और इनके रूस की सरकार से बेहद करीबी संबंध हैं। रूस ने यूक्रेन पर किए हमले को स्पेशल आपरेशन का नाम दिया है। रूस का कहना है कि उसकी मंशा यूक्रेन पर कब्जा करने की नहीं है। वो केवल की यूक्रेन की सैन्य ताकत को तबाह करना चाहता है और वो ऐसा कर के ही रहेगा।
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