सम्पादकीय

गोपाल को जानिए…

Gulabi
29 Oct 2021 5:18 AM GMT
गोपाल को जानिए…
x
शायद आप गोपाल को नहीं जानते हैं। गोपाल को मैं जानता हूं

शायद आप गोपाल को नहीं जानते हैं। गोपाल को मैं जानता हूं। गोपाल एक सरकारी कार्यालय में लिपिक है। अभी मैं उसकी चारित्रिक विशेषताएं बताऊंगा तो आप भी उसे जान जाएंगे। कार्यालयीय कामकाज मंे वह एक मक्कार किस्म का इनसान है। काम के नाम पर उसके देवता कूच कर जाते हैं। काम से बचने को उसके पास सौ बहाने हैं। आज उसे बच्चे को स्कूल छोड़ना है, कल उसे बच्चे को स्कूल से लाना है, कभी उसकी पत्नी आएगी तो उसके साथ जाना पड़ेगा, कभी उसकी तबियत ठीक नहीं है तो कभी वह किसी की अन्त्येष्टि या तीये की बैठक में जाएगा। वह सवेरे ही तय कर लेता है कि उसे कौनसा फार्मूला आजमाना है। मुझे खुद को उसके पूरे बहाने याद नहीं हैं। यह भी इन बिंदुओं को देखते हुए विचारणीय है कि उसका अफसर उसे कैसे लगातार बरदाश्त कर रहा है या वे क्यों नहीं उसे कामचोरी से रोक पाते हैं। दरअस्ल गोपाल में चापलूसी का अद्भुत गुण विद्यमान है। दूसरा उसका सीनियर पूरी गंभीरता से कार्यालय में बैठकर काम निपटा रहा है।


चापलूसी में उसकी अद्भुत क्षमता के आगे कोई भी निरुत्तर हो सकता है। यदि गोपाल दफ्तर में बैठा है और कोई डाक आ गई तो वह उसे अत्यंत सावधानी से अवलोकन के बाद अपने किसी साथी की ओर डायवर्ट करके खुद निद्रालीन हो जाता है। उसे किसी तरह की कार्यालयीय चिंता न होने से वह दफ्तर के लॉन में नींद भी निकाल लेता है। उससे पूछो कि वह कहां था, तो वह यही कहेगा मैं तो यहीं था। झूठ का कारोबार इतना प्रबल है कि आप स्वयं लज्जित हो जाएं, पर उसके जूं तक नहीं रेंगती। उसके गुणनफल अचंभित करने वाले होते हैं। कोई लैटर उसे टाइप करने को दे दिया जाए तो वह अपने किसी दूसरे साथी की आजीजी करके अपना पिंड छुड़ा लेता है तो उसके बाद घंटे-दो घंटे को वहां से लापता हो जाता है। मैं उसे इसी आलम में पिछले दस वर्षों से देख रहा हूं।

वह हर बात भूल जाता है तथा उसे कुछ भी याद नहीं रहता। यह उसकी जान-बूझकर की जाने वाली चालाकियां हैं। वह अभी तक अपनी किसी लापरवाही के लिए दंडित नहीं किया गया है, अपितु वह चमचा सूत्रों से अच्छे कर्मचारी के रूप में सम्मानित भी हो चुका है। एक प्रमोशन भी वह इसी के बूते पर ले चुका है। वह अभी और प्रमोशन लेना चाहता है तथा केवल साइन करने वाला पद प्राप्त करना चाहता है ताकि सारे झंझटों से मुक्ति पा सके। वेतन के प्रति वह पूरी तरह सज़ग है। वेतन स्लिपों को गौर से देखना तथा कटौतियों का हिसाब-किताब रखना उसे बखूबी आता है। उसका रोना यह भी है कि उसे वेतन उसके सीनियर्स से कम क्यों मिलता है? अब तो जान गए होंगे आप गोपाल को। हर दफ्तर में गोपालों का तांता है और इसी तरह अपनी ड्यूटी अंज़ाम दे रहे हैं। मैं तो खुद एक गोपाल से परेशान हूं। सोचिए जहां एक ही कार्यालय में गोपालों की संख्या एकाधिक है, उस अनुभाग की हालत क्या होती होगी? कभी अवसर मिला तो मैं गोपाल के बारे में और विस्तार से बताऊंगा। गोपाल अद्भुत व चिरस्मरणीय है, उसे कौन भुला सकता है। गोपालों को जानना इस देश के हित में है ताकि देश तरक्की कर सके। जो लोग गोपाल को नहीं जान पाते हैं, वे जानबूझ कर परेशानी मोल ले लेते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपके सभी कामकाज समूदली चलते रहें तो सबसे पहले गोपाल को जानना होगा।

पूरन सरमा

स्वतंत्र लेखक


Next Story