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- नौकरशाही को चुस्त...
जब हम उन दफ्तरों में जाते हैं जो अपने आपको हमारी व्यवस्था, सुविधा, सुरक्षा और भविष्य के ज़ामिन कहते हैं तो यहां एक खास किस्म की ऊंघती हुई गंध हमारा पीछा करने लगती है। हम बड़ी उम्मीद के साथ इन दफ्तरों में आए हैं। ये हमारे जन्म, मरण का प्रमाणपत्र देने वाले दफ्तर हो सकते हैं, जी हां जिंदा आदमी का भी मरण प्रमाणपत्र बन जाता है। बस आपकी जेब की गर्मी उनकी टेंट का ठिकाना ढूंढने के लिए तैयार रहे। आप जब इन दफ्तरों में घुसते हैं तो 'सेवा का अधिकार' निश्चित समय में प्रदान करने का बोर्ड पढ़ कर घुसते हैं, इसलिए अभी आपको सब ओर हरा ही हरा सूझता है। इससे पहले इन दफ्तरों के बारे में आपकी राय थी कि ये अंधी फाइलों और बहरे कर्मचारियों के शहर हैं। इधर इन अंधों के शहरों में चश्मे बांटने वाले बहुत से भाषण आपने सुन लिए तो लगा था कि सरकार ने सभी पुराने, दकियानूसी और दम तोड़ते कानून निरस्त कर दिए हैं। रोज़ अखबार में छपता है, इसलिए ऊंघते हुए नौकरशाही माहौल में चपलता आ गई होगी।