- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- खेलो इंडिया की नर्सरी
खेल की उपलब्धियों में हिमाचल का दर्जा जब हरियाणा जैसे खेल राज्य को हराकर ऊपर उठता है, तो संभावनाओं के नए अक्स और प्रतिभाओं के नए संकल्प मजबूत होते हैं। खेलो इंडिया यूथ गेम्स की लड़कों की कबड्डी में हिमाचल का जलवा ऐसी आशा लेकर आ रहा है, जो भविष्य में खेल संस्कृति का विस्तार कर सकता है। पंचकूला के संघर्ष में हिमाचल की युवा कबड्डी का परिचय न केवल सम्मान अर्जित करता है, बल्कि आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करते हुए यह विश्वास दिलाता है कि पहाड़ी मिट्टी और आबोहवा का इस्तेमाल किया जाए, तो राष्ट्रीय पदकों की तालिका में प्रदेश का नाम भी उज्ज्वल होगा। खेेलो इंडिया खेलो की नर्सरी में हिमाचल के लिए अपनी संभावना के जो मानदंड विकसित हो रहे हैं, उससे आगे चलकर हम यह तय कर सकते हैं कि प्रदेश को किन खेलों पर अधिक तवज्जो देना होगा। पंचकूला के परिणाम के लिए बिलासपुर खेल छात्रावास को साधुवाद तथा उन तमाम प्रशिक्षकों को श्रेय देना होगा जिन्होंने इस परिणाम की परिधि तक पहुंचने में अपनी साधना का फलक ऊंचा किया। इससे पहले भी साई के बिलासपुर व धर्मशाला के छात्रावासों के तहत हिमाचली प्रतिभा का निखार कबड्डी व एथलेटिक्स में देखने को मिला है।
By: divyahimachal