सम्पादकीय

खरगौन हिंसा: शांति के टापू में कैराना की दस्तक क्यों सुनाई दे रही है

Gulabi Jagat
13 April 2022 11:40 AM GMT
खरगौन हिंसा: शांति के टापू में कैराना की दस्तक क्यों सुनाई दे रही है
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खरगौन हिंसा
दिनेश गुप्ता।
रामनवमी पर खरगोन (KHARGONE VIOLENCE) में हुई हिंसा के बाद कई लोग खौफ के चलते दूसरे शहर में अपने रिश्तेदारों के यहां चले गए हैं. घरों पर मकान बेचना है कि तख्तियां लटकी दिखाई दे रही हैं. इन तख्तियों को लेकर भी राजनीति हो रही है. कैराना (KAIRANA) जैसे हालात बताए जा रहे हैं. सरकार एक साथ कई चुनौतियों का सामना कर रही है. बड़ी चुनौती हालात सामान्य करने की है. दंगाई को चिन्हित कर सरकार उनके मकानों और दुकानों पर बुलडोजर (Bulldozer) चला रही है. खरगोन की घटना तात्कालिक परिस्थितियों के कारण नहीं हुई है. कहीं न कहीं घटना के पीछे समाज में बढ़ती कटुता और असुरक्षा के भाव को भी जिम्मेदार माना जा रहा है.
प्रशासनिक विफलता का परिणाम है सांप्रदायिक तनाव
खरगोन,मध्यप्रदेश के निमाड़ इलाके में आता है. मिर्च और कपास का काफी उत्पादन होता है. यहां के लोग साधन-संसाधन के लिहाज से राज्य के अन्य इलाकों में रहने वाले लोगों की तुलना में बेहतर स्थिति में हैं. राजनीति का केन्द्र मालवा रहता है. इस अंचल में आदिवासी और ओबीसी वोटर महत्वपूर्ण हैं. सांप्रदायिक स्थितियों के लिहाज से पूरा निमाड़-मालवा बेहद संवेदनशील माना जाता है. विशेष पर्वों पर मसलन रामनवमी,अंनत चतुर्दशी पर समारोह निकाले जाने की परंपरा है. मुस्लिम तीज, त्योहारों पर भी जुलूस जलसे की इजाजत प्रशासन देता रहा है. मालवा-निमाड़ सहित प्रदेश के सभी जिलों में तीज-त्योहारों से पहले जिला प्रशासन शांति समिति के माध्यम से तनाव की स्थितियों को टालने का प्रयास करता रहा है. मध्यप्रदेश में बीते कुछ सालों में सांप्रदायिक सदभाव बेहतर होता दिखाई दिया था.
मध्यप्रदेश को शांति का टापू कहा जाने लगा था. लेकिन,अचानक माहौल फिर से तनावपूर्ण दिखाई देने लगा है. खरगोन की घटना से पहले जानकार जमीनी स्थितियां विस्फोटक होने की बात दबी जुबां से कह रहे थे. लेकिन,खरगोन के जिला प्रशासन ने स्थितियों का ठीक से आकलन नहीं किया. घटनाक्रमों का विश्लेषण भी नहीं किया. पुलिस प्रशासन ने अपराधियों की धरपकड़ समय रहते नहीं की.
राम मंदिर के फैसले पर सामान्य रहे थे हालात
रामनवमी का जुलूस तनाव का कारण बनेगा,इसकी उम्मीद दो कारणों से नहीं की जा रही थी. पहला कारण रमजान का होना रहा. दूसरा कारण राम जन्म भूमि के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले और फिर शिलान्यास के दिन की सदभावपूर्ण स्थितियां रहीं. पूर्व मंत्री कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा कहते हैं कि दंगा सुनियोजित है. मामले की निष्पक्ष जांच होगी तो पत्थरबाजों का राजनीतिक प्रतिबद्धता उजागर हो जाएगी? प्रदेश में पहली बार ऐसा हुआ कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर सभी जिला कांग्रेस कमेटियों को रामनवमी और हनुमान जयंती धूमधाम से मनाए जाने के निर्देश जारी किए गए.
यद्यपि भोपाल के कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के इस निर्देश को कांग्रेस की धर्म निरपेक्ष नीति के खिलाफ बताया था. राज्य में विधानसभा के चुनाव के लिए अभी डेढ़ साल का समय है. लेकिन,सत्ताधारी दल भाजपा और कांग्रेस ने अभी से अपनी मैदानी तैयारियां शुरू कर दी हैं. चुनाव में धर्म के आधार पर वोटों का ध्रुवीकरण रोकने के लिए कांग्रेस अतिरिक्त सतर्कता बरत रही है. लेकिन, उत्तरप्रदेश की तर्ज पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपराधों पर नियंत्रण के लिए अपराधियों के घरों और प्रतिष्ठानों पर बुलडोजर चलाए जाने से संदेश वर्ग विशेष को निशाना बनाने का गया. जो अपराध से जुड़े थे,उनमें भय था. उन्होंने ही बुलडोजर को सांप्रदायिक रंग देने का काम किया.
कट्टरवादी छवि के नहीं हैं शिवराज
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कट्टर छवि वाले भाजपा नेता नहीं हैं. उनकी पहचान उनकी सरकार की लोकप्रिय योजनाएं हैं. तीर्थ दर्शन योजना से लेकर कन्यादान योजना तक हर वर्ग और धर्म के लोगों को सभी योजना का लाभ समान रूप से दिया जा रहा है. इसके बाद भी पिछले विधानसभा चुनाव में शिवराज सिंह चौहान चौथी बार सरकार बनाने से चूक गए थे. कांग्रेस विधायकों के दलबदल के कारण वे चौथी बार मुख्यमंत्री बने. हिंदी भाषी राज्यों में वे अकेले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो पंद्रह साल से भी अधिक समय से मुख्यमंत्री हैं.
माना यह जा रहा है कि भाजपा विधानसभा का अगला चुनाव भी शिवराज सिंह चौहान के ही नेतृत्व में लड़ेगी. यही कारण है कि चौहान इस बार बुलडोजर का उपयोग राजनीतिक तौर पर कर रहे हैं. भू-माफिया, गुंडों और अवैध कब्जाधारियों के विरुद्ध कार्यवाही करते हुए प्रदेश में जनवरी से 31 मार्च तक 1791 प्रकरण दर्ज किए गए. अब तक 3814 अवैध अतिक्रमण तोड़े जाकर 2244 एकड़ भूमि मुक्त कराई गई है, जिसकी लागत लगभग 671 करोड़ रुपए है. इन कार्रवाइयों में भोपाल, खरगोन, इंदौर, झाबुआ और टीकमगढ़ जिले शीर्ष पर रहे हैं. सरकार की यही कार्रवाई तथाकथित भय का कारण बनी हुई है. संयोगवश अब तक बुलडोजर जिन लोगों की संपत्ति पर चला है,उसमें अधिकांश अल्पसंख्यक वर्ग के हैं.
देश के कुछ हिस्सों में नवरात्रि पर मांसाहार और हलाल को लेकर जिस तरह का घटनाक्रम सामने आया उसका असर शांति के टापू पर भी पड़ा है. रामनवमी पर खरगोन जलूस पर हुए पथराव को तात्कालिक परिस्थितियों के तौर पर नहीं देखा जा रहा. भय और दबा हुआ असंतोष इसके मूल में है.
पलायन की वजह दंगा तो नहीं?
पथराव की घटना के बाद हुए सांप्रदायिक दंगे में पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ चौधरी के पैर में गोली लगी है. यह घटना इस बात की ओर इशारा करती है कि टकराव पैदा करने की योजना पूर्वनियोजित थी। इसके पीछे शामिल चेहरे अब तक सामने नहीं आ पाए हैं। वीडियो में पत्थरबाजी करते जो लोग दिखाई दे रहे है, पहचान करने के बाद उनके घरों पर बुलडोजर चलाए गए हैं. नब्बे से अधिक लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं. लेकिन,असंतोष को थामने के लिए जो प्रयास सामाजिक स्तर पर किए जाने चाहिए वह दिखाई नहीं दे रहे हैं. असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री भी हो चुकी हैं. वे कहते हैं कि कानून पर भीड़तंत्र हावी है. लेकिन,तस्वीर का दूसरा पहलू राकेश और दुर्गा काले का मकान है. इस पर लिखा है -मकान बिकाऊ है. राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा कहते हैं कि कैराना जैसा हालात की बात करना पूरी तरह निराधार है. वे कहते हैं कि काले ने मकान बिकाऊ है,यह घटना से पहले से लिखकर रखा है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)
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