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- चलो, कुछ तीखा हो जाए
हालांकि अब वे सेवानिवृत्त हो गए हैं खाने कमाने वाले पद से, पर अभी भी वे अपनी तथाकथित धार्मिक गैंग को पूरी तरह समर्पित हैं। कल इन्हीं बंधु का फोन आया। जुबान फूली हुई। असल में इन दिनों उनके परम पूज्नीय गुरुदेव कारावास से लाइव चल रहे थे, 'धर्म की जय हो। स्वस्थ समाज का नाश हो। आज का अखबार पढ़ा क्या हे स्वहित चिंतक जी?' 'हां तो गुरु के गुरु महागुरु! आज भी अखबार में नया क्या है? वही बासी तेजाब से सने भाषण, वही बासी जनता को झूठे आश्वासन! वही रोती बिलखती अर्थव्यवस्था, वही शक्ति के मद में चूर व्यवस्था। खबर है कि चोर पुलिस का पकडऩे के लिए उसके पीछे उन्हीं की गाड़ी लिए भाग रही है, जनता सो सो कर रोज की तरह आज सुबह भी जाग रही है। इधर आदमी टूट रहा है तो उधर उसकी जेब का रुपया। पर खेद! रुपया टूटता है तो आरबीआई आगे आ जाता है, उसे डॉलर का सहारा दे रोते रोते उठाता है। पर जब मेरे जैसा टूटता है तो उसके अपने भी उससे दूर हो जाते हैं। देखा आदमी और रुपए का अंतर!' 'जब देखो, माया मोह की बातें करते रहते हो। इसीलिए तो कहता हूं हमारा धार्मिक गु्रप ज्वाइन कर लो। मन को परम शांति मिलेगी। अपनी गुरु बीवी से पता चला है अखबार में आज खबर छपी है कि जो जेल से बाहर आए हैं, वे असली नहीं, हमारे नकली गुरु हैं।' 'तो क्या हो गया! चराचर जगत् में असली है ही क्या? बस, असली का भ्रम मात्र असली है। शेष यहां सब नकली है। यहां साबुन नकली है, दातुन नकली है। तेल नकली है, दिलों का मेल नकली है। घी नकली है, जी नकली है। डिग्री नकली है, जिगरी नकली है। अंडा नकली है, मुर्गी नकली है। शान नकली है, पहचान नकली है। करंसी नकली है, हंसी नकली है। नेता नकली है, ठेका नकली है। जनसेवा का काउंटर नकली है, अपराधी का एनकाउंटर नकली है। दूध नकली है, पूत नकली है।
By: divyahimachal