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- कश्मीर का भीतरी
जम्मू-कश्मीर, विशेष रूप से कश्मीर घाटी का अध्ययन करने का यह नया प्रयास है। नया इस लिहाज़ से नहीं कि इसमें अब तक अज्ञात रहे कुछ नए ऐतिहासिक या राजनीतिक तथ्यों का समावेश किया गया हो। यह प्रयास नया इस लिहाज़ है कि इसमें कश्मीर घाटी को समझने के लिए नई शोध पद्धति का सहारा लिया गया है। यह पद्धति एटीएम और शेर-बकरा की दो नई अवधारणाओं पर आधारित है। एटीएम से क्या अभिप्रेत है? शाब्दिक लिहाज़ से ए यानी अरब, टी यानी तुर्क और एम यानी मुगल। इन तीनों को मिला कर एटीएम बनता है। इसे गणितीय भाषा में इस प्रकार लिखा जा सकता है : एटीएम। एटीएम मूल के मुसलमान अपने आप को अशरफ कहते हैं और दूसरों से भी कहलवाना पसंद करते हैं। फारसी भाषा के इस शब्द का अर्थ, उच्च कोटी के लोगों से होता है। हिन्दोस्तान के जो लोग अपना पंथ या सम्प्रदाय छोड़ कर इस्लाम में मतान्तरित हो गए, उनको एटीएम मुसलमान, अफजाल/अजलाफ/पसमांदा मुसलमान कहते हैं। फारसी के इन तीनों शब्दों का अर्थ थोड़े बहुत हेर फेर से नीच या तुच्छ कोटी का है। वैसे तो एटीएम की अवधारणा और उसका सकारात्मक नकारात्मक प्रभाव अखिल भारतीय स्वरूप का है, लेकिन यहां हमारा अध्ययन केवल कश्मीर घाटी तक ही सीमित है। कहा जाता है कश्मीर घाटी में एटीएम के इन तीनों समुदायों की जनसंख्या पांच प्रतिशत से भी कम है।
By: divyahimachal