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विकास के पहिए को रफ्तार देने में युवा शक्ति की भूमिका महत्वपूर्ण होती है क्योंकि युवावस्था ही उम्र का वह दौर होता है जब कल्पनाओं को पंख लगते हैं, नये सपने संजोये जाते हैं। उम्र का यही पड़ाव विषम परिस्थितियों से भी जूझ जाने का होता है क्योंकि युवा हिम्मती होते हैं, मेहनती होते हैं। लेकिन युवावस्था में ही दिग्भ्रमित होने की आशंका भी बनी रहती है। जरूरत होती है सही राह पकड़ने की। कश्मीर में अनेक युवाओं को भ्रमित किया गया और उन्हें झोंक दिया गया ऐसे 'नापाक' काम में, जिसकी परिणति है सिर्फ मौत। इस तरह के भटकाव में न आने की अपील करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने सभी युवाओं से अपील की है कि वे सरकार से हाथ मिलाएं और कश्मीर को आगे ले जाने की यात्रा में भागीदार बनें। उन्होंने कहा है कि घाटी के युवाओं को अपनी प्रगति के लिए विभिन्न प्रशासनिक अवसरों का लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर युवा जम्मू-कश्मीर के विकास में शामिल होंगे, तो आतंकवादी अपने नापाक मंसूबों में विफल हो जाएंगे। असल में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने और इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद पहली बार देश के गृह मंत्री यहां पहुंचे हैं। उनकी यात्रा ऐसे वक्त हुई है जब घाटी में सिलसिलेवार ढंग से आम नागरिकों को निशाना बनाया गया और उनकी हत्या की गयी। इसी संदर्भ में गृह मंत्री जहां मारे गए लोगों के परिजनों से मिले, वहीं उन्होंने सुरक्षा मामले पर हाईलेवल मीटिंग भी की। अपने दौरे के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये गृह मंत्री ने यह भी बताया कि जम्मू-कश्मीर में अब तक 12 हजार करोड़ रुपये का निवेश आ चुका है। लक्ष्य 51 हजार करोड़ रुपये तक करने का है। युवाओं से राजनीतिक गतिविधियों में भी भागीदार बनने की ओर इशारा करते हुए अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में परिसीमन होगा, चुनाव भी होगा और राज्य का दर्जा भी वापस मिलेगा।