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- कश्मीर बनाम हिमाचल-2

हिमाचल के पर्यटन को कितना प्रचार और कितना विस्तार चाहिए। दोनों में अंतर समझना होगा। किसी श्रद्धालु को यह तो नहीं कहा जाता है कि वह हिमाचल के मंदिरों के दर्शन करे, लेकिन वे आ रहे हैं-सदियों से। बावजूद इसके क्या हम पर्यटक को देवभूमि में बुलाते हैं या देवभूमि के बैनर के नीचे पर्यटन के मुताबिक हो पाए। मसला बुलाने से कहीं अधिक यह समझाने का जरूर है कि अधिकांश सैलानी आएं कैसे। एक बड़ी योजना के तहत पर्यटन विभाग सारे देश के 'टूरिज्म टे्रड फेयर' में हिस्सा ले कर हिमाचल को प्रस्तुत करना चाहता है। ऐसी भागीदारी से निश्चित रूप से लाभ होगा और कुछ नए ट्रैवल एजेंट व टूरिस्ट आकर्षित होंगे, लेकिन इससे पहले यह विश्लेषण भी होना चाहिए कि हिमाचल आकर कितने प्रतिशत संतुष्ट होकर लौटते हैं। इनकी संतुष्टि के लिए हमारे पास क्या है और क्या हो सकता है, तो इनके असंतोष की वजह को जानने व हटाने के लिए हमें क्या काम करना होगा।
क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचली
