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- कश्मीर राग
Written by जनसत्ता; आखिर पाकिस्तान इमरान खान बेआबरू होकर प्रधानमंत्री निवास से निकल ही गए। अब पाकिस्तान में नवाज शरीफ के छोटे भाई और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के तीन बार मुख्यमंत्री रहे, शाहबाज शरीफ प्रधानमंत्री बन गए हैं। उन्हें पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के बिलावल भुट्टो तथा अन्य विपक्षी दलों का समर्थन प्राप्त है! प्रधानमंत्री बनने के बाद शाहबाज शरीफ ने ऐलान किया कि पाकिस्तान कश्मीर के मामले को समय-समय पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता और भारतीय कश्मीर के लोगों की यथासंभव मदद करता रहेगा!
दरअसल, कश्मीर समस्या पाकिस्तानी राजनेताओं के लिए राजनीति करने का तुरूप का पत्ता रही है। अगर कश्मीर समस्या हल हो जाए, तो पाकिस्तान में एक महत्त्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दा नेपथ्य में चला जाएगा। पाकिस्तान का वजूद भारत के खिलाफ नफरत के आधार पर हुआ था और कश्मीर में मुसलिम बहुलता को देखते हुए पाकिस्तान इस पर अपना स्वाभाविक अधिकार मानता है।
कहना ना होगा कि जब 1947 में भारत आजाद हुआ, तो जम्मू-कश्मीर के महाराजा, हरि सिंह ने भारत के साथ विलय की घोषणा करने में देरी कर दी और इतने में पाकिस्तान ने अपने सैनिकों को कबालियों की वेशभूषा में जम्मू-कश्मीर पर हमला करवा दिया था और कश्मीर के एक भाग पर अपना कब्जा कर लिया। इतने में महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर के भारत के साथ विलय की घोषणा की और भारत ने अपनी सेना वहां भेज कर जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान द्वारा कब्जा करने से रोका।
यह मामला संयुक्त राष्ट्र के सुपुर्द कर दिया गया और फैसला किया गया कि जम्मू-कश्मीर में जनमत कराया जाएगा। अगर लोग पाकिस्तान के साथ मिलना चाहेंगे तो उधर चले जाएंगे और अगर भारत के साथ रहना चाहें तो भारत का हिस्सा बन जाएंगे। अब चूंकि हालात बदल गए हैं, भारत द्वारा जम्मू कश्मीर विवाद को संयुक्त राष्ट्र में भेजे जाने का महत्त्व खत्म हो गया है! जम्मू कश्मीर में समय-समय पर विधानसभा चुनाव होते रहे हैं और यहां के लोग अपनी मर्जी की सरकार चुनते रहे हैं और भारत का संविधान जम्मू कश्मीर में लागू हुआ है। भारत सरकार ने सविधान में संशोधन करके धारा 370 समाप्त कर दी है, जिसके मुताबिक अब यह प्रदेश भारत का उसी प्रकार से एक अभिन्न अंग है, जैसे कि दूसरे राज्य।
पाकिस्तान को यह बात समझ लेनी चाहिए कि कश्मीर समस्या ने उसका बेड़ा गर्क कर दिया है। 1947 से लेकर अब तक किसी न किसी प्रकार वहां सैनिक शासक हावी रहे हैं, जोकि कश्मीर समस्या को हल नहीं होने देते। अगर कोई प्रधानमंत्री भारत के साथ अच्छे संबंध रखना चाहता है तो सेना रुकावट डालती है! कश्मीर के लोगों को भारत के खिलाफ करने और कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान अरबों खरबों रुपए खर्च करके अपनी अर्थव्यवस्था का सत्यानाश कर रहा है। आतंकवाद को बढ़ावा देने के कारण उसे ग्रे सूची में डाल दिया गया है, जिससे उसको अंतरराष्ट्रीय सहायता मिलनी बंद हो गई है। पाकिस्तान में खुद भी आतंकवादियों ने सरकार का नाक में दम कर रखा है। दोनों देशों के बीच कश्मीर समस्या को लेकर संबंध तनावपूर्ण हैं। व्यापारिक गतिविधियां बहुत सीमित हैं।
अब दोनों देशों को चाहिए कि कश्मीर समस्या को दस साल के लिए ठंडे बस्ते में डाल दें। कोई भी देश एक-दूसरे के बारे में नफरत भरे बयान जारी न करे, एक-दूसरे के खिलाफ कोई सैनिक कार्रवाई न करे। पाकिस्तान भारत के मुसलमानों को लेकर हस्तक्षेप करना उसी तरह बंद कर दे जैसे कि वह चीन में रहने वाले मुसलमानों के पक्ष में एक शब्द भी नहीं बोलता। पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, ईसाई तथा बौद्ध लोगों को धर्म की स्वतंत्रता होनी चाहिए। जबरन धर्म परिवर्तन पर रोक होनी चाहिए। गैर-मुसलिमों पर ईशनिंदा कानून लागू करना बंद कर देना चाहिए। अगर यह सब ईमानदारी से किया जाए तो दोनों देशों में संबंध सुधर सकते हैं।