सम्पादकीय

'कश्मीर फाइल्स' सिर्फ फिल्म नहीं है

Subhi
20 March 2022 4:31 AM GMT
कश्मीर फाइल्स सिर्फ फिल्म नहीं है
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संसद में मोदी-मोदी! संसदीय दल में मोदी-मोदी! यहां मोदी-मोदी, वहां मोदी-मोदी! भाजपा प्रवक्ताओं की सांस-सांस में मोदी-मोदी! भाजपा कार्यालय में 'महामाला' के अंदर लाने के लिए नड्डा को बांह पकड़ कर खींचते मोदी और सकुचाते नड्डा- धन्य-धन्य मोदी-मोदी! चार राज्यों की जय के बाद गुजरात में दस किलो मीटर लंबा रोड शो देते, फूलों की बौछार लेते, लोग करते मोदी-मोदी! कोसिए तो मोदी! धिक्कारिए तो मोदी और आरती उतारिए तो मोदी!

सुधीश पचौरी: संसद में मोदी-मोदी! संसदीय दल में मोदी-मोदी! यहां मोदी-मोदी, वहां मोदी-मोदी! भाजपा प्रवक्ताओं की सांस-सांस में मोदी-मोदी! भाजपा कार्यालय में 'महामाला' के अंदर लाने के लिए नड्डा को बांह पकड़ कर खींचते मोदी और सकुचाते नड्डा- धन्य-धन्य मोदी-मोदी! चार राज्यों की जय के बाद गुजरात में दस किलो मीटर लंबा रोड शो देते, फूलों की बौछार लेते, लोग करते मोदी-मोदी! कोसिए तो मोदी! धिक्कारिए तो मोदी और आरती उतारिए तो मोदी!

पंजाब की जीत और केजरीवाल का एक वाक्य कि 'पंजाब के लोगों ने कमाल कर दित्ता'! लोग पागल! मान का शपथ समारोह! हर ओर शहीद भगत सिंह वाली पीली पगड़ियां! इसी बीच मोदी देते हैं मान को जीत की बधाई और एंकर चिंतित कि कहीं डोरे तो नहीं डाल रहे हैं मोदी 'आप' पर! मोदी से पीछा छुड़ाना मुश्किल है!

करारी हार के बाद कांग्रेस की 'सीडब्लूसी' और फिर वही कि 'पंचों की राय सर माथे, लेकिन पतनाला वहीं गिरेगा'! 'जी-23' क्लब के चिर उपेक्षित नेता अपने 'रूठ मटक्के' की खबरें बनाते रहे, लेकिन वे करें क्या, जब 'तुझको और न मुझको ठौर!' कुछ एंकरों के लिए कांग्रेस 'अब टूटी कि अब टूटी', लेकिन हुआ वही 'ढाक के तीन पात'! वही सोनिया, राहुल और प्रियंका! दो दिन की हाय-हाय और फिर वही 'शोले' के असरानी का डायलाग कि 'हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं हम नहीं बदलेंगे!'

ये करते रहे 'हम न बदलेंगे' और मोदी अग्रिम में गुजरात जीतने निकल गए! मोदी का क्या मुकाबला! कुछ चैनल प्रश्नवाचक मार कर कहते हैं- 'क्या मोदी अपराजेय हैं?' जब चैनल ऐसे लड्डू सवाल करेंगे तो मोदी अपराजेय ही दिखेंगे!

लेकिन फिल्म 'कश्मीर फाइल्स' ने अचानक 'कश्मीरियत इंसानियत' वाले विमर्श पलट दिया! एकाध छोड़ हर चैनल पर अनुपम खेर, विवेक अग्निहोत्री और पल्लवी जोशी! हर एंकर पंडितों के दर्द से कराहता हुआ! हर एंकर कश्मीर के 'पडितों के जनसंहार' को बताता हुआ! एंकर बताते रहे: 'कश्मीर फाइल्स' की लागत बीस करोड़ और छह दिन की कमाई अस्सी करोड! शुरू में 800 सिनेमा हाल में रिलीज, अब 2700 में रिलीज! पहली फिल्म, जिसने कश्मीर के हिंदुओं के जनसंहार का सच दिखाया!

ये रहा कश्मीर का 'होलोकास्ट', जिसे आज तक छिपाया गया! सिनेमा हालों में दर्शकों के हुजूम! वे फिल्म देखते नहीं, उसे 'जीते' हैं! वे देखते हुए रोते हैं, चीखते हैं! फिल्म पहली बार अपने ही देश में अपने ही पुश्तैनी घरों से मार कर खदेड़ दिए गए नब्बे हजार पडितों के दर्द को दुनिया तक पहुंचाती है! 'बैन' वालों ने 'बैन' चाहा, लेकिन अदालत ने न लगाया!

फिल्म के बरक्स 'कांग्रेस-एनसीपी-पीडीपी' प्रवक्ता एक लाइन से इसे 'घृणोन्माद फैलाने वाली' और 'भाजपा का प्रोपेगेंडा' बताते रहे! वे कहते कि यह झूठ दिखाती है, क्योंकि हिंदू मरे पांच सौ, जबकि मुसलमान मरे पंद्रह हजार..!

जो हुआ भाजपा समर्थित वीपी सिंह और अटल सरकार के दौरान हुआ! जबाव में भाजपा प्रवक्ता बताते कि ये 'नस्ली क्लिंजिंग' थी। बंदूक की नोक पर नब्बे हजार पडितों भगाया गया! यह बर्बरता इंदिरा-राजीव-फारूख के शासन के दौरान हुई! फिर एक शाम एक एंकर ने वह सरकरी पत्र दिखाया, जिसमें कहा गया था कि 'पंडितों ने अपने मन से पलायन किया है' यानी 'वे स्वेच्छा से घर छोड़ कर गए हैं!'

लंबी और गुस्से भरी टीवी बहसों में भाजपा प्रवक्ता सप्रमाण बताते रहे कि जो हुआ कांग्रेस-एनसीपी के कार्यकाल में हुआ! दर्दनाक बहसें पूरे सप्ताह रहीं। तर्क और पैंतरे बदलते रहे! विपक्ष पानी डालता कि पंडितों के लिए वे भी दुखी हैं, लेकिन मुसलमान भी कम नहीं मरे..।

यह फिल्म घृणा फैलाती है, जबकि आज सौहार्द की जरूरत है। सात साल से भाजपा सत्ता में है, उसने कितने पंडितों का पुनर्वास किया? सुशील पंडित के तर्कों का किसी के पास जबाव नहीं दिखा। उन्होंने कहा कि ये यासीन मलिक, जिनसे मनमोहन सिंह दफ्तर में मिलते थे, ये जीलानी, ये शाह सब 'कत्ली' हैं। ये 'निजामे-मुस्तफा' स्थापित करना चाहते थे!

चैनल 'कश्मीर फाइल्स' के दर्शकों से बात करते। वे रोते-चीखते कहते कि यह फिल्म अब तक छिपाए गए सच को बताती है! अपने देश से भगाए गए हम लोगों को बत्तीस साल हो गए, लेकिन हमारी किसी ने नहीं सुनी! इस फिल्म ने उसी दर्द को सबके सामने ला दिया है! इस्लामी आतंकी हमारे घरों में घुस आते, बंदूक की नोंक पर कहते कि 'या तो मुसलमान बन जाओ या अपनी बहन-बेटियां छोड़ यहां से भाग जाओ, वरना मार देंगे!' एक एंकर बताता रहा कि अदालत तक ने जांच की जरूरत नहीं समझी!

आप चैनलों पर हंकाले गए पंडितों की आपबीती सुनते और आपका कलेजा मुंह को आता! एक एंकर पूछता रहा कि यहूदियों के 'होलोकास्ट' याद करने वाले इन पंडितों के 'होलोकास्ट' को कैसे भूल गए? कई एंकर और कई भुक्तभोगी मांग करते दिखे कि सात साल से भाजपा है। अब तो इनको वहां बसाओ! अब तो जांच बिठाओ! एक प्रवक्ता कहिन कि मोदी जी सुन रहे होंगे, वे कुछ अवश्य करेंगे!


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