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- काबुल की चिंता
अमेरिका कभी अफगानिस्तान में धमाकों के साथ घुसा था और आज लौटते हुए भी धमाके जारी हैं। आतंकवाद की असली जड़ों में मट्ठा न डालने का नतीजा सामने है। हालात काबुल में सबसे बदतर हैं। एयरपोर्ट पर हुए हमले में शहीद अपने सैनिकों का बदला लेने के लिए अमेरिका एक हद तक दृढ़ नजर आ रहा है, लेकिन पूरी अमेरिकी सैन्य कवायद अपनी रक्षा के लिए भी हो सकती है। अपनी रक्षा के लिए आक्रामक होना एक रणनीति ही है, जो हम पहले भी देख चुके हैं। खैर, तालिबान दहशतगर्दी का दामन छोड़ने को तैयार नहीं है, वह शायद जाते हुए अमेरिका को डराकर भेजना चाहता है, ताकि वह फिर कभी अफगानिस्तान में वापसी की न सोचे। इस बीच काबुल में युद्ध का आलम है। कहां बम बरस जाए, कहां फिदाईन हमला हो जाए, कोई नहीं जानता। लोग न घरों में सुरक्षित हैं और न ही सड़कों पर। ज्यादा आशंका यही है कि आने वाले कुछ दिनों तक स्थितियां ऐसी ही रहेंगी और दोनों पक्ष ऐसी स्थितियों के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराते रहेंगे। सबसे ज्यादा खतरा तो आईएस की तरफ से है, जिसके आतंकी दहशत को बढ़ाने में दिन-रात लगे हुए हैं। दुनिया की भलाई इसी में है कि वह दहशत के हर बहते दरिया में हाथ धोने के शौकीनों को पहचान ले।
क्रेडिट बाय हिन्दुस्तान