सम्पादकीय

K-Pop Phobia: क्या नॉर्थ कोरिया के 'सनकी तानाशाह' को बगावत का डर सता रहा है?

Tara Tandi
13 Jun 2021 5:24 AM GMT
K-Pop Phobia: क्या नॉर्थ कोरिया के सनकी तानाशाह को बगावत का डर सता रहा है?
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कहते हैं तानाशाह चाहे कितना भी क्रूर क्यों ना हो, अपनी गद्दी जाने का डर उसे हमेशा सताता रहता है.

जनता से रिश्ता वेबडेसक| कहते हैं तानाशाह चाहे कितना भी क्रूर क्यों ना हो, अपनी गद्दी जाने का डर उसे हमेशा सताता रहता है. उत्तरी कोरिया में पिछली तीन पीढ़ियों से किम परिवार का शासन जारी है. मौजूदा तानाशाह किम जोंग-उन पिछले दस साल से देश की सत्ता पर काबिज हैं. लेकिन जनता की बगावत का खौफ उन्हें लगातार बना रहता है. यही वजह है कि वो हर उस आवाज को दफ्न कर देना चाहते हैं जिससे उन्हें खतरा नजर आने लगता है. फिर वो आवाज कोई पॉप संगीत ही क्यों ना हो? जहां पूरी दुनिया की सरकारें कोरोना वायरस से जंग जीतने की कोशिश कर रही हैं. किम जोंग-उन को जनता के स्वास्थ्य की नहीं अपनी सत्ता की फिक्र लगी है. एक तरफ वो बाहरी खतरों के बहाने देकर जंगी मिसाइलों की खेप बढ़ाकर वो अपनी ताकत बढ़ाने में लगे हैं तो दूसरी तरफ देश की संस्कृति बचाने के नाम पर उन्होंने विदेशी गानों, फिल्मों और बोली के खिलाफ जंग छेड़ दी है.

दरअसल, नॉर्थ कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग-उन पिछले कई महीनों से परेशान हैं. पड़ोसी देश साउथ कोरिया के पॉप कल्चर ने उनकी नींद उड़ा दी है. किम को डर है कि K-Pop के नाम से पूरी दुनिया में मशहूर ये पॉप म्यूजिक उनकी शासन व्यवस्था की जड़ें हिला देगा. नॉर्थ कोरिया के नौजवानों की आंखें खोल उन्हें किम परिवार की दशकों पुरानी तानाशाही के खिलाफ एकजुट कर देगा. शायद इसीलिए किम जोंग-उन ने देश में K-Pop के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है. वो हर रोज साउथ कोरियन पॉप कल्चर के विरुद्ध फरमान जारी कर रहे हैं. उसे नॉर्थ कोरिया की संस्कृति के लिए खतरा बता रहे हैं. हाल में उन्होंने K-Pop म्यूजिक को 'खतरनाक कैंसर' तक बता दिया. किम ने कहा, 'इस कैंसर ने नॉर्थ कोरिया के युवाओं को बर्बाद कर दिया है. उनके हावभाव, रहन-सहन, कपड़े और हेयरस्टाइल सब कुछ बदल रहे हैं. अगर ऐसा ही चलता रहा तो उत्तरी कोरिया एक गीली दीवार की तरह ढह जाएगा.'
K-Pop के खिलाफ किम जोंग-उन ने जंग क्यों छेड़ दी है?
सवाल ये है कि कोरियन पॉप यानी K-Pop में ऐसा क्या है जिसने किम जोंग-उन जैसे 'सनकी तानाशाह' का सिरदर्द बढ़ा दिया है? साउथ कोरिया के जिस संगीत का उनकी सत्ता से कोई लेना देना तक नहीं है. उससे उन्हें आखिर कैसा खतरा हो सकता है?
K-Pop पश्चिमी संगीत से प्रभावित साउथ कोरिया का पॉप म्यूजिक है जो कि 2000 के दशक में बेहद मशहूर हो गया. इसमें रॉक, हिप-हॉप, इलेक्ट्रॉनिक, जैज, कंट्री और क्लासिकल जैसी हर तरह की शैली मौजूद है. बस अंदाज थोड़ा अलग है. वैसे तो कोरियन पॉप कल्चर का इतिहास कई दशकों पुराना है लेकिन 1990 के दशक के बाद अपने खास लुक, फील और स्टाइल की वजह से ही इसने म्यूजिक के दीवानों में अलग पहचान बना ली है. पड़ोसी देश उत्तरी कोरिया में K-Pop का जबरदस्त क्रेज है. कोरियन पॉप म्यूजिक का जादू वहां के युवाओं के सिर चढ़ कर बोल रहा है. नौजवान लड़के और लड़कियां अपने पॉप आइकॉन की तरह दिखना और बोलना पसंद करते हैं. उनके हावभाव और अंदाज अपनाने की कोशिश करते हैं.
अगर ऐसा है तो इससे किम जोंग-उन को क्या परेशानी हो सकती है?
क्या पॉप म्यूजिक से तानाशाह का डर खत्म हो जाने का खतरा है?
इस सवाल का जवाब नॉर्थ कोरिया में किम परिवार की तानाशाही के इतिहास में छिपा है. जो कि आम जनता के दिलोदिमाग पर अपना नियंत्रण बनाए रखने के लिए हर तरह की कपट-विद्या अपनाता है. विदेशी खतरों के नाम पर लोगों पर अपना खौफ कायम करता है. देश में हमेशा आपातकाल जैसे हालात बनाकर नागरिकों के सारे अधिकार छीनता है. उनकी रोजमर्रा की जिंदगी को कंट्रोल करता है. और जो आवाज उठाते हैं उन्हें रास्ते से हटा देता है.
तानाशाही सरकार के लिए लोगों की वफादारी बनी रहे इसलिए नॉर्थ कोरिया की प्रोपेगेंडा मशीन हमेशा काम पर लगी रहती है. आम नागरिकों को सिर्फ उतनी ही बात बताई जाती है जितना किम परिवार के हक में होता है. देश में ग्लोबल इंटरनेट के इस्तेमाल पर पाबंदी है ताकि दुनिया की हकीकत से लोगों को महरूम रखा जा सके. घरों में जो रेडियो और टेलीविजन लगे हैं उनमें सिर्फ नॉर्थ कोरियाई सरकार का प्रोपेगेंडा सुनाया और दिखाया जाता है.
K-Pop म्यूजिक चीन के रास्ते तस्करी से नॉर्थ कोरिया पहुंचता है
पाबंदियों से घिरे नॉर्थ कोरिया के लोग मनोरंजन के लिए हमेशा से साउथ कोरिया के संगीत, वीडियो, ड्रामा और फिल्मों पर निर्भर रहे हैं. लेकिन एंटरटेनमेंट के ये साजोसामान साउथ कोरिया से चीन के रास्ते तस्करी के जरिए नॉर्थ कोरिया पहुंचते हैं. जहां आम लोग इसे घरों में छिपा कर रखते हैं और छिप कर ही इसका इस्तेमाल करते हैं.
सत्ता में आने के बाद कुछ सालों तक किम जोंग-उन ने बाहरी संस्कृति को लेकर काफी नरमी दिखाई. तब रेस्त्रां वगैरह में विदेशी फिल्में भी दिखाई जाने लगीं. लेकिन 2019 में डोनाल्ड ट्रंप के साथ कूटनीतिक वार्ता विफल होने के बाद किम का आत्मविश्वास डगमगाने लगा. नॉर्थ कोरिया पर अमेरिकी पाबंदियां बरकरार रहने से अर्थव्यवस्था और बिगड़ने का खतरा बन गया.
फिर अपने नागरिकों को दिखाने के लिए किम ने आत्मनिर्भर अर्थव्यव्स्था बनाने की कसम तो खा ली, लेकिन उनके पास इसकी कोई पुख्ता रणनीति नहीं थी. लिहाजा देश की इकॉनोमी बेहद बुरे दौर से गुजर रही है. जबकि साउथ कोरिया दिनोंदिन तरक्की के राह पर बढ़ रहा है. वहां के लोग खुशहाल हैं और किम साउथ कोरिया की यही खुशहाली अपनी जनता से छिपाना चाहते हैं.
कोरियन वीडियो से किम को अपने झूठ का किला ढहने का डर
दरअसल, किम जोंग-उन के साथ-साथ नॉर्थ कोरिया की पूरी प्रोपेगेंडा मशीनरी साउथ कोरिया को दुनिया के रहम-ओ-करम पर पलने वाला देश बताती है. टीवी और रेडियो के माध्यम से जनता को बताया जाता है कि किम परिवार के शासन में उत्तरी कोरिया सफलता की बुलंदियां छू रहा है. मिसाइल परीक्षणों की तस्वीरें दिखाकर लोगों को देश की ताकत के बारे में गुमराह किया जाता है.
किम जोंग-उन को लगता है कि K-Pop के वीडियो और साउथ कोरिया की फिल्में अगर यूं ही नॉर्थ कोरिया की जनता तक पहुंचती रहीं तो उनके झूठ का किला ढह जाएगा. किम को ज्यादा डर नौजवानों से हैं क्योंकि पॉप म्यूजिक और वीडियो देखने वाले युवाओं के दिमाग में यह बात घर कर सकती है कि साउथ कोरिया के लोग पाबंदियों से आजाद हैं और वो उनसे ज्यादा खुशहाल हैं. तानाशाह किम को लगता है नौजवानों पर साउथ कोरिया के पॉपुलर कल्चर का खुमार ऐसे ही बढ़ता रहा तो आगे उन पर काबू करना मुश्किल हो सकता है. नॉर्थ कोरिया की युवा पीढ़ी अपने देश में भी खुलेपन की मांग कर सकती है, किम की पाबंदियों के खिलाफ बगावत कर सकती है.
K-Pop के खिलाफ किम जोंग-उन ने बनाया खौफनाक कानून
किम जोंग-उन ने नॉर्थ कोरिया में K-Pop के प्रभाव को खत्म करने की ठान ली है. अपने इरादों को कामयाब करने के लिए उन्होंने दिसंबर 2020 में एक बेहद सख्त कानून बना दिया. जिसके तहत साउथ कोरियाई ऑडियो-वीडियो देखने-सुनने और रखने पर 15 साल तक लेबर कैंप की सजा तय की गई. पहले यह सजा 5 साल की होती थी, लेकिन ज्यादा सख्ती नहीं दिखाई जाती थी.
नए कानून में कोरियन वीडियो या ऑडियो सप्लाई करने वालों को मौत तक दी जा सकती है. जो लोग साउथ कोरियन स्टाइल में बोलते, लिखते या गाते हुए पाए जाएंगे उन्हें तीन साल तक लेबर कैंप की सजा होगी.
नॉर्थ कोरियन पर किम जोंग-उन का कहर यहीं खत्म नहीं होता. तानाशाह ने अपने अधिकारियों को फरमान दिया है कि साउथ कोरियन कॉन्टेंट की तलाशी के लिए कंप्यूटर और म्यूजिक प्लेयर्स से लेकर नोटबुक और टेक्स मैसेजेज तक खंगाले जाएं. किम प्रशासन ने ऐसे लोगों के बारे में खबर देने पर ईनाम भी तय किया है. जो परिवार साउथ कोरियाई अंदाज में बात करते पकड़े जाते हैं उन्हें शहर से बाहर कर दिया जाता है. लड़कों को लंबे बाल रखने की मनाही है. लड़कियां छोटी स्कर्ट या तंग ट्राउजर्स नहीं पहन सकतीं. बालों में सिर्फ ब्लैक डाई ही लगाने की इजाजत है. किम जोंग-उन को लगता है कि कड़े कानून के सहारे साउथ कोरियन कल्चर का खात्मा कर वो उत्तरी कोरिया पर अपनी तानाशाही सालों तक जारी रख सकते हैं.


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