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आनंद गुरुराया :- एक जंगल में हजारों हाथी, बाघ, शेर, बंदर, तेंदुए, हिरण, भालू, लोमड़ी, भेड़िये, सांप, बिच्छू, मकड़ी, कोयल, मोर, गौरैया, कैटरपिलर, गिलहरी, तितलियां, कीड़े, मृग, मछली, मगरमच्छ, बत्तख, केकड़े और विभिन्न प्रकार के जानवर रहते थे. यहां हाथियों की संख्या अधिक थी, एक दिन उन्होंने कहा, "ओह! विभिन्न प्रकार के जानवर, जो कई तरह की आवाजें निकालते हैं और अलग-अलग प्रकार के भोजन करते हैं, उन्होंने जंगल की एकरूपता को बर्बाद कर दिया है. जंगल ने अपनी पहचान खो दी है. इसलिए, अब से यहां केवल हाथी होने चाहिए. या फिर सभी जानवरों को हाथी जैसे चलना चाहिए, घास और बांस वगैरह खाना चाहिए." नतीजतन, शेर की मांद से लेकर कोयल के घोंसले तक, सभी को हाथियों की तरह बांस वगैरह खाने की सीख दी गई. बाघों और शेरों को शिकार करना बंद करना पड़ा, मछलियों और मगरमच्छों को तैरना बंद करना पड़ा, सारस और हंस को उड़ना छोड़ना पड़ा. हाथियों की तरह जीना सीखने के लिए सभी जानवरों को एक स्कूल में दाखिला लेना पड़ा. उन्हें भोजन और सुरक्षा तभी मिलती थी जब वे इस स्कूल में दाखिला लेते थे.