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जनता से रिश्ता वेबडेसक | पिछले दिनों आई इंडियन जस्टिस रिपोर्ट हमें मौजूदा विधि व्यवस्था से जुड़े उन बुनियादी मुद्दों से रूबरू कराती है जो आम तौर पर अनदेखे ही रह जाते हैं। देश की न्याय प्रक्रिया की गड़बड़ियों और इसके नतीजों के उदाहरण हमें मिलते रहते हैं। कभी अदालतों के असंगत फैसले के रूप में तो कभी सही फैसला आने में हुए अत्यधिक विलंब के रूप में, कभी पुलिस ज्यादतियों के रूप में तो कभी जेल प्रशासन की लापरवाही के रूप में। इन सबके मूल कारणों पर बातचीत कम होती है। देश में अपराध नियंत्रण और दंड विधान से जुड़ी पूरी मशीनरी किस हाल में है और किस तरह की चुनौतियों का सामना कर रही है, इस पर नियमित सार्वजनिक चर्चा संभवत: इसलिए नहीं हो पाती क्योंकि हमारा ध्यान आम तौर पर तात्कालिक महत्व की चौंकाने वाली घटनाएं ही खींचती हैं, और यह सवाल किसी तात्कालिक घटना से नहीं जुड़ा है।