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इन दिनों पूरे देश की निगाहें झारखंड में हुई केबल कार दुर्घटना (Cable Car Accident in Jharkhand) पर हैं
नेहा भान
इन दिनों पूरे देश की निगाहें झारखंड में हुई केबल कार दुर्घटना (Cable Car Accident in Jharkhand) पर हैं. बेशक यह अपनी तरह का पहला मामला नहीं है. देश में एडवेंचर टूरिज्म (Adventure Tourism) को पसंद करने वाले बढ़ रहे हैं, लेकिन इसी के साथ ही रोमांच की डोज को पूरा करने वाली इन मशीनों के उपकरणों का रखरखाव चिंता के एक बड़े कारण के रूप में उभरा है.
राज्य में बीजेपी (BJP) की इकाई ने आरोप लगाया है कि दुर्घटनाग्रस्त हुई केबल कार के ऑपरेटर का लाइसेंस दो साल पहले ही खत्म हो चुका था, बावजूद इसके वह इस सेवा को लगातार चला रहा था. सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि केबल कार में कथित तौर पर सात लोग बैठे थे, जबकि प्रत्येक कार की क्षमता एक समय में केवल चार लोगों को बैठाने की ही है.
कब-कब हुई हैं रोपवे से जुड़ी दुर्घटनाएं
रोपवे से जुड़ी दुर्घटनाएं क्यों हो रही हैं, इसको जानने से पहले एक नजर भारत में तीन दशकों में हुईं केबल कारों से जुड़ी कुछ दुर्घटनाओं पर एक नज़र डालते हैं: –
गुजरात रोपवे दुर्घटना 2003: गुजरात के पंचमहल जिले में तीन केबल कारों के दुर्घटनाग्रस्त होने से सात लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई घायल हो गए. दुर्घटना के समय दस केबल कारों में 65 से अधिक लोग मौजूद थे.
दार्जिलिंग रोपवे दुर्घटना 2003: पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग हिल स्टेशन में सिंगामेरी और तुकवर के बीच चल रही दो रोपवे कारों के केबल से फिसलकर गिरने से चार पर्यटकों की मौत हो गई थी, जबकि 10 से अधिक गंभीर रूप से घायल हो गए थे.
मसूरी में केबल कार ठप, 2005: 2005 में मसूरी में एक केबल कार ठप हो गई, जिससे पर्यटक हवा में फंस गए थे. हालांकि भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल ने समय रहते स्थिति को संभाल लिया और एक बड़ी त्रासदी को होने से रोक दिया.
छत्तीसगढ़ केबल कार दुर्घटना, 2016: एक रोपवे ट्रॉली के चट्टान से टकरा जाने से एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई थी, जबकि तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे. घटना के समय रोपवे ट्रॉली पर्यटकों को राजनांदगांव जिले के बम्लेश्वरी देवी पहाड़ी मंदिर पर ले जा रही थी.
विशाखापत्तनम केबल कार घटना, 2016: कैलासगिरी रोपवे पर एक केबल कार के हुक से टूटकर जमीन पर गिरने से सात लोग घायल हो गए थे. केबल कार लगभग 6 फीट की ऊंचाई से गिर गई, जिससे सवारियों को चोटें आईं थीं.
गुलमर्ग गोंडोला दुर्घटना 2017: जून 2017 में, गुलमर्ग से एक बड़ी दुर्घटना की सूचना मिली थी, जब बीच में ही रोपवे के टूटने से एक केबल कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. इस हादसे में सात लोगों की मौत हो गई थी. मृतकों में दिल्ली के रहने वाले चार लोग शामिल थे, जबकि तीन अन्य पर्यटक थे. यह घटना उस समय हुई जब तेज हवाओं के कारण एक पेड़ उखड़कर रोपवे पर गिर गया जो उसके टूटने की वजह बन गया.
जम्मू केबल कार दुर्घटना 2019: निर्माणाधीन रोपवे परियोजना की एक केबल कार के दुर्घटनाग्रस्त होने से दो श्रमिकों की मौत हो गई थी, जबकि चार अन्य घायल हो गए थे. पीटीआई के अनुसार, केबल कारों में से एक कथित तौर पर अलग होकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी, जिससे एक कर्मचारी की मौके पर ही मौत हो गई थी. हादसे की वजह तकनीकी खराबी बताई गई थी.
छत्तीसगढ़ केबल कार दुर्घटना, 2021: रोपवे ट्रॉली के एक टावर से टकराने से एक मजदूर की मौत हो गई थी. बताया गया था कि ट्रॉली असंतुलित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी.
वैसे देश से ही नहीं, विदेशों से भी इस तरह के हादसों की खबरें आती रहती हैं. पिछले साल इटली में एक केबल कार कथित तौर पर ट्रैक्शन तार के टूटने की वजह से जमीन पर जा गिरी और इस एक्सीडेंट में 14 लोगों की मौत हो गई. इसी तरह पिछले साल अक्टूबर में चेक गणराज्य में सामने आए एक मामले में ट्रॉली रोपवे से अलग होकर जमीन पर गिर गई. इस हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. इन हादसों से पहले भी केबल कार को लेकर हुईं कई दुर्घटनाओं ने लोगों के रोंगटे खड़े कर दिए जिनमें से कैवेलिस केबल कार आपदा, त्बिलिसी एरियल ट्रॉमवे दुर्घटना और सिंगापुर केबल कार आपदा को सबसे ज्यादा भयावह माना जाता है.
क्या हैं इन हादसों के कारण
केबल कारों से जुड़े एक विशेषज्ञ का कहना है कि इन हादसों की मुख्य वजह रखरखाव की कमी और इनको लेकर लापरवाही होती है. उनका कहना है कि सरकार से लाइसेंस मिलने के बाद कंपनियों को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी उपकरण हमेशा ठीक से काम कर रहे हों और इनकी मेंटेनेंस में कहीं कोई कोताही न बरती जाए. उपकरणों की जांच में सरकार की भूमिका सुपरवाइजर की होती है. सुरक्षा विशेषज्ञ नमिता बसाक ने भी केबल कारों की परिचालन सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण दो कारणों का उल्लेख किया है.
नमिता का कहना है कि इन दुर्घटनाओं के लिए दो प्रमुख कारण हो सकते हैं. एक तो ड्राइव, सर्विस ब्रेक, सेफ्टी ब्रेक और गियरबॉक्स का खराब चयन है. दुर्घटनाओं से बचने के लिए केबल कार के टॉवर का चयन, रस्सियों आदि को भी विभिन्न इलाके की स्थितियों और भार-वहन क्षमता को ध्यान में रखते हुए चुना जाना चाहिए. दूसरी वजह है सिस्टम का रखरखाव. अगर इन मशीनों की मेंटेनेंस ठीक से नहीं की गई तो सिस्टम खराब हो सकता है और इसके घातक परिणाम सामने आ सकते हैं. यही वजह है कि रखरखाव को लेकर बहुत सतर्कता बरतनी चाहिए.
मुकेश जोशी, जिन्होंने इन केबल कारों के संचालन को समझने में काफी समय बिताया, कहते हैं कि रखरखाव और लापरवाही इन दुर्घटनाओं के बड़े कारण हो सकते हैं. हालांकि उन्होंने केबल कारों के एक्सीडेंट होने की और भी वजहें गिनाई हैं. मुकेश जोशी का कहना है कि ऐसी त्रासदी कभी भी और कहीं भी हो सकती है, यहां तक कि सबसे सुरक्षित तकनीक को भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं कहा जा सकता है. हम किसी भी मशीन को परफेक्ट नहीं कह सकते. आप मानवीय त्रुटियों और तकनीकी खराबी के चांस से इंकार नहीं कर सकते. हालांकि, पैसे बचाने के लिए कोई भी मौत का कारण नहीं बनना चाहता.
केबल कारों को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि ये प्रति घंटे 100 से 1000 लोगों को ले जा सकती हैं, जबकि इनकी संचालन अवधि 15-16 घंटे होती है. यूरोपीय देशों में इनके संचालन और रखरखाव के लिए लोगों को प्रोफेशलनल ट्रेनिंग देने के लिए इंस्टीट्यूट खोले गए हैं. इसके साथ ही आपदा की स्थिति में लोगों को सुरक्षित तरीके से बाहर निकालने के लिए मॉक ड्रिल्स भी कराई जाती हैं. दूसरी ओर भारत में अभी तक ऐसी कोई प्रफेशनल स्तर की प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध नहीं है. देश में तीन-चार केबल कार कंपनियां काम कर रही हैं और इनके भी कर्मचारी ठीक से प्रशिक्षित नहीं हैं. जिस तरह केबल कारों को लेकर हादसे सामने आ रहे हैं, उससे एडवेंचर टूरिज्म को लेकर एक रेगुलेटिंग और मॉनिटरिंग अथॉरिटी की बड़ी जरूरत महसूस हो रही है.
Rani Sahu
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