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- ज़ेवर एयरपोर्ट - सरकार...
रवीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 नवंबर को नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट की आधारशिला रखने वाले हैं. इस प्रोजेक्ट को लेकर एक तरफ बड़े बड़े सपने दिखाए जा रहे हैं तो दूसरी तरफ इसके लिए जिनके घर उजड़े हैं वो फिलहाल ऐसे हर सपने से खुद को दूर पा रहे हैं. इससे पहले कि आप एयरपोर्ट के बनने के बाद इसे कौन उद्योगपति खरीदेगा, इस टाइप के लतीफे में व्यस्त हो जाएं, इसकी परवाह करनी चाहिए कि ऐसी बड़ी योजनाओं की बड़ी कुर्बानी कौन देता है. किसान किस तरह की मानसिक यातना से गुज़रता है. उसे मुआवज़ा मिलता है लेकिन वो मुआवज़ा भी इतनी आसानी से नहीं मिलता है. मुआवज़ा मिलने और नई जगह में बसने से पहले वह अपने गांव और घर से उजड़ता है. क्या उजड़ने से पहले उसे अपने गांव को एक आख़िरी बार जी भर के देख लेने की अनुमति दी जाती है या मुआवज़ा देकर बुलडोज़र चला दिया जाता है. किसान एक खुले घर से दड़बे नुमा मकान में जाता है. उसके लिए सब कुछ नया और अनजाना हो जाता है. ये वही किसान हैं जिनकी पहली कुर्बानी के बाद मिडिल क्लास और अमीर क्लास विकास की उड़ान भरता है. कभी आपने नहीं सुना होगा कि किसी अमीर बस्ती को उजाड़ कर विकास की कोई नई योजना लांच की गई है. अगस्त में रवीश रंजन ने उन किसानों से बात की थी जो किसान अपने घर से उजड़ कर नए घरों में बस रहे थे.