सम्पादकीय

जेफ बेजोस की सफलता की चमकीली कहानी में असफलताओं के धुंधले पैबंद

Tara Tandi
5 July 2021 12:26 PM GMT
जेफ बेजोस की सफलता की चमकीली कहानी में असफलताओं के धुंधले पैबंद
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5 जुलाई का दिन जेफ बेजोस की जिंदगी में बहुत अहम है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | 5 जुलाई का दिन जेफ बेजोस की जिंदगी में बहुत अहम है. आज पांच जुलाई है और आज बतौर सीईओ अमेजन में जेफ बेजोस का आखिरी दिन है. 27 साल पहले 1994 में 5 जुलाई की ही तारीख थी, जिस दिन बेजोस ने अमेजन की नींव डाली थी. एक छोटी सी जगह में मामूली संसाधनों से शुरू हुई एक कंपनी देखते ही देखते ऑनलाइन शॉपिंग की सबसे बड़ी कंपनी में तब्‍दील हो गई. ये शुरू करते हुए खुद जेफ बेजोस ने भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन उनका नाम दुनिया के सबसे ताकतवर और सबसे अमीर लोगों की फेहरिस्‍त में शुमार होगा, लेकिन हो गया. एक नामुमकिन से सपने के मुमकिन हो जाने की तरह.

आज जेफ बेजोस अमेजन के सीईओ का पद छोड़ रहे हैं. अब उनकी जगह एंडी जेसी अमेजन केनए सीईओ होंगे. यूं तो जेफ बेजोस की सफलता की कहानी अनेकों बार दोहराई जाती रही है, लेकिन शायद यह एक बेहतर मौका है कि एक बार फिर उस कहानी में उतरकर देखा जाए कि जेफ की यात्रा किन-किन पड़ावों से होकर सफलता के इस मुकाम तक पहुंची. और इस कहानी को सुनाते हुए सफलता की चमक के साथ-साथ उन अंधेरों का भी कुछ जिक्र किया जाए क्‍योंकि सफलता की हर कहानी के पीछे असफलताओं और मुश्किलों का भी एक लंबा सिलसिला होता है, जिसके साथ सफलता अकसर ही न्‍याय नहीं करती. सक्‍सेस स्‍टोरीज में जिक्र सिर्फ जीत का होता है, हार का नहीं.
16 साल की किशोरी ने जब जेफ को जन्‍म दिया
जेफ बेजोस का जन्‍म 13 जनवरी, 1964 को अल्बुबर्क, न्यू मेक्सिको में हुआ. उस वक्‍त उनकी मां जैकलिन जोगेर्सन सिर्फ 16 साल की थीं और जूनियर हाईस्‍कूल में पढ़ती थीं. उनके प्रेग्‍नेंट होने और बच्‍चे को जन्‍म देने की वजह से उन्‍हें स्‍कूल से निकाल दिया गया. प्रिंसिपल ने कहा कि अब वो इस स्‍कूल में अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सकतीं. कम उम्र में सिर पर आ पड़ी इतनी गंभीर जिम्‍मेदारी और उससे पैदा हुई मुश्किलों का असर जेफ के माता-पिता के रिश्‍तों पर भी पड़ा और जेफ के जन्‍म के एक साल बाद ही जैकलिन ने जेफ के पिता थिओडोर जोगेर्सन से अलग हो गईं. थिओडोर बहुत कठोर और गैरजिम्‍मेदार पति और पिता थे. 19 साल की उम्र में पिता बनने के बाद बेतहाशा शराब पीने और जैकलिन के साथ दुव्‍यर्वहार करने लगे थे.
मां का तलाक और दूसरी शादी
जब ये सब बर्दाश्‍त के बाहर हो गया तो जैकलिन ने तलाक लेने का फैसला किया. हालांकि तलाक के बाद भी जैकलिन की जिंदगी कोई आसान नहीं थी. इतनी कम उम्र में गोद में एक छोटा बच्‍चा था, पास में कोई डिग्री नहीं थी और कॅरियर की ठोस जमीन नहीं. जो जिम्‍मेदारियां सिर पर आ पड़ी थीं, उन्‍हें निभाने की कोई तैयारी नहीं थी. लेकिन जैकलिन ने हार नहीं मानी. एक साल के बच्‍चे को गोद में लेकर वापस कॉलेज में दाखिला लिया और अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए जी-जान से जुट गईं. जैकलिन के प्रोफेसर ने बड़ी उदारता से उन्‍हें अपने बच्‍चे को साथ कॉलेज लाने की इजाजत दी. जैकलिन बच्‍चे को साथ लेकर जातीं. अकसर जब वो क्‍लास अटेंड कर रही होती थीं तो नन्‍हा जेफ मां की गोद में सोता रहता था. कई बार वो क्‍लास के दौरान उसकी आंख खुल जाती तो भी वो बिना रोए, शोर मचाए मां की गोद में बैठा शांति से लेक्‍चर सुनता रहता या बीच-बीच में कूं-कूं की आवाज करता. लेकिन कभी रोकर या शोर मचाकर क्‍लास को डिस्‍टर्ब नहीं करता था.

तीन साल का बच्‍चा और झूला
जेफ बेजोस की जीवनी में ब्रैड स्‍टोन ने लिखा है कि 3 साल की उमर में ही जेफ खुद को इतना बड़ा समझने लगा कि उसने बच्‍चों वाले झूले में सोने से मना कर दिया था.
इस दौरान वह घर का खर्च चलाने के लिए पार्ट टाइम काम भी करती थीं. कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही जैकलिन की मुलाकात माइक बेजोस से हुई. जेफ जब चार साल का था तो जैकलिन ने माइक से शादी कर ली. माइक ने जैकलिन के बेटे को अपनाया और उसे अपना नाम भी दिया. जेफ जोगेर्सन अब जेफ बेजोस हो गए और आजीवन उन्‍होंने अपने नाम के साथ यही पहचान जोड़े रखी
थिओडोर और जेफ बेजोस
अपने जैविक पिता थिओडोर के साथ जेफ का कोई संपर्क और संबंध नहीं रहा. 2013 में जब ब्रैड स्‍टोन जेफ बेजोस की जीवनी लिख रहे थे तो उन्‍होंने थिओडोर जोगेर्सन से संपर्क किया. इस दौरान ही ब्रैड स्‍टोन को यह पता चला कि थिओडोर ने अपने बेटे से कभी कोई संबंध या बातचीत नहीं रखी. 40 साल से दोनों की कोई मुलाकात या बातचीत नहीं है. थिओडोर इस किताब के लिए इंटरव्‍यू देने को तैयार हो गए और बातचीत में उन्‍होंने ये भी कहा कि वो एक बेहद बुरे और गैरजिम्‍मेदार पिता थे. उन्‍होंने जैकलिन और जेफ दोनों को जीवन के सबसे मुश्किल दौर में अकेला छोड़ दिया था और फिर कभी लौटकर उनका हाल नहीं पूछा. हालांकि उन्‍हें इस बात की राहत और खुशी जरूर है कि जैकलिन को फिर माइक जैसा पति और जेफ को उनके जैसा पिता मिल गया.
ब्रैड स्‍टोन के इंटरव्‍यू के बाद थिओडोर ने अपने बेटे से संपर्क किया और फिर दोनों के संबंधों में संवाद और स्‍नेह की थोड़ी गुंजाइश बनी. आज की तारीख में उनके बीच वैसी दूरी और कड़वाहट नहीं है. वे कभी-कभार मिलते हैं, लेकिन जेफ के नाम के साथ उनके सौतेले पिता माइक का ही नाम जुड़ा है.
कंप्‍यूटर साइंस की डिग्री और इन्‍वेस्‍टमेंट फर्म की नौकरी
जेफ बेजोस ने 1986 में प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की डिग्री ली. ये डिग्री कंप्यूटर साइंस और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में थी. सभी की तरह जेफ ने भी अपने कॅरियर की शुरुआत नौकरी से की. डिग्री जरूर उनके पास कंप्‍यूटर साइंस और इंजीनियरिंग की थी, लेकिन नौकरी उन्‍होंने की वॉल स्‍ट्रीट की एक इंन्‍वेस्‍टमेंट फर्म में. जेफ का दिमाग बिजनेस वाला था. उन्‍हें बेचना और मुनाफा कमाना आता था.
जब वो हाईस्‍कूल में थे, तभी अपने माता-पिता के घर के खाली पड़े पुराने गैराज में ही अपने पहले बिजनेस की शुरुआत कर दी थी. नाम रखा- 'द ड्रीम इंस्टीट्यूट'. जेफ ने गर्मियों की छुट्टियों में अपने जैसे स्‍टूडेंट्स के लिए ही एक समर कैंप चलाया और 600 डॉलर कमा लिए. ये तो कमाल ही था. जाहिर है, जेफ में इतनी प्रतिभा थी कि अपने ही स्‍कूल और क्‍लास के छात्रों को कुछ नया सिखाने के बहाने उनसे फीस लेकर समर कैंपस चला सकते थे और पैसे कमा सकते थे. जेफ के माता-पिता भी ये देखकर हैरान थे कि हाईस्‍कूल के बच्‍चे में इतनी अकल कहां से आई.
जेफ को अपना भविष्‍य दिखाई देने लगा था. उन्‍हें पता था कि शुरुआत कहीं से भी हो, करना उन्‍हें बिजनेस ही है.
1993 का साल और एक बड़ा फैसला
जेफ ने पढ़ाई पूरी करने के बाद जब वॉल स्‍ट्रीट की इन्‍वेस्‍टमेंट फर्म डीई शॉ एंड कंपनी में नौकरी की तो धड़ाधड़ सफलता की सीढि़यां चढ़ते गए और 7 साल में ही वहां के वाइस प्रेसिडेंट भी बन गए. उस कंपनी में जेफ का भविष्‍य उज्‍जवल था, लेकिन जेफ को तो वो करना ही नहीं था. वो जिंदगी भर किसी और की नौकरी करने के लिए नहीं बने थे. 1993 में उन्‍होंने नौकरी छोड़ दी और अपना बिजनेस शुरू करने का फैसला किया.
ये अमेजन की शुरुआत थी.
अमेजन की शुरुआत
अमेजन की शुरुआत घर के उसी छोटे से गैराज से हुई, जहां हाईस्‍कूल में जेफ ने पहला समर कैंप लगाया था. बेटे की प्रतिभा पर अब माता-पिता को भी कोई शुबहा नहीं रहा था. पिता माइक जेफ को 3 लाख डॉलर उधार देने को तैयार हो गए. जेफ ने एक ऑनलाइन बुकस्‍टोर खोलने की योजना बनाई. नाम रखा अमेजन. सब सहारा अफ्रीका में एक नदी का नाम है अमेजन. आइडिया ये था कि ये नदी बहकर सब देशों में जा रही है. अमेरिका से लेकर यूरोप और एशिया तक इसी नदी का विस्‍तार है. जाने कितने दोस्‍तों, परिचितों, शुभचिंतकों की मदद से अमेजन की टेस्टिंग होती रही और आखिरकार वो दिन आ गया.
एक असंभव सपने का सच होना
5 जुलाई, 1994. इसी दिन अमेजन की शुरुआत हुई थी. बेवसाइट लांच होते ही ऑनलाइन किताबें खरीदने वालों का तांता लग गया. एक महीने के भीतर अमेजन का बिजनेस 40 देशों में फैल गया. तीन महीने बीतते न बीतते हर हफ्ते 25,000 डॉलर की किताबें बिकनी शुरू हो गईं. ये इतनी बड़ी सफलता थी कि जिसकी खुद जेफ बेजोस ने कभी कल्‍पना नहीं की थी. पूरी दुनिया के अब तक के इतिहास में किसी स्‍टार्ट-अप ने इतने कम समय के भीतर अपने खाते में इतनी बड़ी सफलता नहीं दर्ज की थी. तीन साल के भीतर ये स्‍टार्टअप एक पब्लिक कंपनी में तब्‍दील हो चुका था और इतना ही नहीं, ई कॉमर्स की दुनिया का बेताज बादशाह होने से बस चंद ही कदम दूर था.
हर बड़े काम की बुनियाद में है भरोसा
ऑनलाइन किताबें बेचने से शुरू हुआ अमेजन का सफर पांच साल के भीतर एक ऐसे सपने के सच होने की तरह था, जो खुद जेफ बेजोस ने भी ऐसे नहीं देखा था. इसके बाद की उनकी जिंदगी की कहानी तो हम सब जानते हैं. वो समय-समय पर तमाम जरूरी और गैरजरूरी कारणों से खबरों में भी बने रहते हैं. कभी हेलीकॉप्‍टर क्रैश में बाल-बाल बचने के कारण तो कभी दुनिया के सबसे महंगे तलाक के कारण. कभी अपने नए प्रेम और अफेयर के कारण तो कभी ऐसे ही किसी मामूली वजह से, जिसे मीडिया उनके जीवन से जुड़ी सबसे बड़ी खबर की तरह पेश करता है.
लेकिन सच पूछो तो इसमें से कोई भी बात ऐसी नहीं कि जिसके कसीदे पढ़ें जाएं या बखिया उधेड़ी जाए.
असल खबर तो वो सफर ही है और उस सफर का हर वो पड़ाव, जो कहानी की सबसे जरूरी बिंदु की तरह नहीं पढ़ाया गया. जब कुछ नहीं था, तब जो कुछ कर दिखाने का जज्‍बा और सपना था, जो यकीन था, उस यकीन के बारे में बात होनी चाहिए. जिस भरोसे पर पिता की गाढ़ी कमाई के 3 लाख डॉलर मांगे गए थे और जिस भरोसे पर वो 3 लाख डॉलर दे दिए गए थे, उस भरोसे की बात होनी चाहिए.
सफल आदमी की कहानी तो हम सब सुनते और सुनाते हैं, लेकिन कहानी सुनाते हुए ये नहीं बताते कि सफलता की बुनियाद क्‍या थी. कि जीवन में हर बड़ी बात, हर गहरी बात, हर सच्‍ची बात की बुनियाद एक ही होती है- भरोसा, यकीन, विश्‍वास.
जेफ बेजोस का भरोसा था कि वो खुद पर भरोसा कर सकता है.


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