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मुकदमे का मुद्दा यह प्रस्तुत किया गया है कि रश्मि की शारीरिक क्षमता पुरुष से अधिक
जयप्रकाश चौकसे का कॉलम: तापसी पन्नू अभिनीत फिल्म 'रश्मि रॉकेट' प्रदर्शित हुई है। रश्मि वीरा नामक साहसी महिला के जीवन से प्रेरित इस फिल्म की नायिका खेल प्रतियोगिता के क्षेत्र के साथ ही अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को भी अदालत में आधारहीन सिद्ध करती है। इस मुकदमे के कारण महिला को पुरुष से शारीरिक रूप से कमजोर समझे जाने के झूठ के भी परखच्चे उड़ जाते हैं।
मुकदमे का मुद्दा यह प्रस्तुत किया गया है कि रश्मि की शारीरिक क्षमता पुरुष से अधिक है। अतः महिला खेल प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले सकती गोया कि शक्ति को ही कटघरे में खड़ा कर दिया गया है। अमेरिका जैसे आधुनिक देश में भी महिलाओं को मताधिकार बहुत दशकों बाद दिया गया। कमला हैरिस अमेरिका में प्रेसिडेंट के पद पर अगले चुनाव में आसीन हो सकती हैं।
प्रियंका चोपड़ा अभिनीत फिल्म 'मैरी कॉम' में नायिका जुड़वां बच्चों को जन्म देने के बाद भी प्रतियोगिता में सक्रिय बनी रहती है। फिल्म के अंत में बॉक्सिंग प्रतियोगिता में 'मैरी कॉम' को जानकारी मिलती है कि उसके पुत्र की शल्य चिकित्सा की जा रही है। यह जानने के बाद भी वह खेल जारी रखती है और अंत में मां और बेटा दोनों ही अपने युद्ध में विजयी होते हैं।
फिल्म में खेल अधिकारी 'मैरी कॉम' के मां बनने के बाद उसे प्रतियोगिता से बाहर रखना चाहता है। 'मैरी कॉम' का कोच कहता है कि बच्चों के जन्म के बाद 'मैरी कॉम' की शक्ति भी दोगुना हो गई है। मातृत्व कमजोरी नहीं वरन शक्ति का प्रतीक है। गौरतलब है कि शरीर में स्थित व्यवस्था, कुछ विशेष प्रकार के हार्मोंस सक्रिय कर देती है, जिसके कारण प्रेम की इच्छा जाग जाती है।
इसी तरह शरीर में अविश्वास की भावना को एक खास हार्मोन स्थगित करता है और एक अन्य हार्मोन प्रेमियों को निकट लाता है। गोया कि मनुष्य का शरीर एक प्रयोगशाला है, जिसमें निरंतर रासायनिक प्रक्रिया चलती रहती है। इन तमाम वैज्ञानिक तथ्यों को मनुष्य का दिल मानता ही नहीं है। प्रेम उसका जन्मसिद्ध अधिकार है। अब उस पर लेबल चस्पा करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
प्रेम को भी कटघरे में खड़ा करने के बचकाने प्रयास किए जाते हैं। गीत याद आता है 'दिल की नज़र से, नज़रों की दिल से ये बात क्या है, ये राज़ क्या है कोई हमें बता दे, क्यों बेखबर, यूं खिंची सी चली जा रही मैं, ये कौन से बंधनों में बंधी जा रही मैं कुछ खो रहा है, कुछ मिल रहा है, ये बात क्या है, ये राज़ क्या है, कोई हमें बता दे, दिल की नज़र से ...।' यह फिल्म 'अनाड़ी' का गीत है।
ज्ञातव्य है कि तापसी पन्नू अभिनीत फिल्मों में उसके पात्र शक्ति के प्रतीक रहे हैं। शिवम नायर की फिल्म 'नाम शबाना' में वह कुख्यात आतंकवादी को मार देती है। नीरज पांडे की फिल्म 'बेबी' में तापसी अभिनीत पात्र काठमांडू जाकर आतंकवादी की पिटाई करती है। उसकी इसी तरह की भूमिकाओं के कारण प्रोटीन से जुड़े एक ब्रांड के विज्ञापन के लिए उसे चुना गया है।
महिला खेल प्रतियोगिता पर बनी फिल्म 'चक दे इंडिया' यादगार फिल्म है। हॉकी की पृष्ठभूमि पर बनी यह फिल्म बहुत सफल रही थी। इस फिल्म में शाहरुख खान ने कोच कबीर खान की भूमिका प्रभावोत्पादक ढंग से अभिनीत की थी। गौरतलब है कि तापसी पन्नू और भूमि पेडनेकर अभिनीत 'सांड की आंख' में दोनों महिला कलाकारों ने साठ पार पात्रों को अभिनीत किया, जबकि फिल्म उद्योग की कुछ तारिकाएं अपना 17वां जन्मदिन ही तीन-चार वर्ष तक मनाती रहती हैं।
बहरहाल 'रश्मि रॉकेट' देखते हुए दर्शक को राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फरहान अख्तर अभिनीत फिल्म 'भाग मिल्खा भाग' की याद आ सकती है, जिसमें फरहान ने यादगार अभिनय किया था, परंतु दोनों ही फिल्में अलग-अलग मुद्दों पर प्रकाश डालती हैं। 'रश्मि रॉकेट' एक यादगार फिल्म मानी जाएगी। यह यथार्थ की रश्मि वीरा को दी गई आदरांजली की तरह बनी है।
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