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संजय पोखरियाली: जल जीवन मिशन के तहत देश के पिछड़े 112 जिलों में 28 महीने के भीतर सवा करोड़ घरों में नल से जल पहुंचाने की तैयारी यही बताती है कि केंद्र सरकार अपनी इस महत्वाकांक्षी योजना को सही तरह से आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री ने इस योजना को शुरू करने की घोषणा 15 अगस्त 2019 को लाल किले की प्राचीर से की थी। इस योजना का लक्ष्य देश के ग्रामीण क्षेत्र के सभी घरों, स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों तक पाइपलाइन से पेयजल पहुंचाना है और वह भी 2024 तक।
यह लक्ष्य तय करके केंद्र सरकार ने एक ओर जहां अपनी इच्छाशक्ति का परिचय दिया है, वहीं यह भी रेखांकित किया है कि उसे अपनी योजनाओं को जमीन पर अच्छी तरह उतारना आता है। उसने अपनी कई योजनाओं पर सही ढंग से अमल करके यह साबित भी किया है। चूंकि जनकल्याण से जुड़ी अन्य कई योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने में सफलता मिली है, इसलिए आम जनता में यह भरोसा पैदा हुआ है कि यह सरकार जो कुछ कहती है, उसे पूरा भी करती है। जल जीवन मिशन से जुड़ी यह योजना किस गति से काम कर रही है, इसे इससे समझा जा सकता है कि दिसंबर 2021 तक करीब साढ़े पांच करोड़ घरों में नल से जल से पहुंचा दिया गया है।
तेलंगाना, गोवा आदि कई राज्यों में तो हर घर में नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य हासिल भी कर लिया गया है। उम्मीद है कि इन राज्यों में जो कर दिखाया गया, वह अन्य राज्यों में भी तय समय में संभव किया जा सकेगा। वास्तव में यह संभव करने के लिए ही इस बार के आम बजट में हर घर नल से जल योजना के लिए 2022-23 में 3.8 करोड़ घरों को कवर करने के लिए 60 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
यह सुनिश्चित करने से न केवल ग्रामीण जनता को एक बड़ी राहत मिलेगी, बल्कि उसके स्वास्थ्य की रक्षा करने में भी सहायता मिलेगी। इस योजना को आगे बढ़ाने के साथ ही इस पर भी विशेष ध्यान दिया जाना आवश्यक है कि जल संरक्षण संबंधी योजनाएं भी सफलता के साथ लागू हों। इसी तरह यह भी देखा जाना चाहिए कि भूमिगत जल का अनावश्यक दोहन और उसका दुरुपयोग रुके। इससे इन्कार नहीं किया जा सकता कि फिलहाल दुरुपयोग हो रहा है। इसी तरह जल संरक्षण के जो उपाय किए गए हैं, उन पर भी ढंग से अमल नहीं हो पा रहा है। ऐसा हो, इसके लिए सरकार के साथ जनता को भी गंभीरता दिखानी होगी।