सम्पादकीय

स्कूल और कॉलेज के लिए जरूरी है कि वे कुछ गंभीर कार्यक्रम बनाएं जिसमें बच्चों के मनोरंजन और सीखने की मात्रा दोनों हो

Gulabi
20 Sep 2021 9:52 AM GMT
स्कूल और कॉलेज के लिए जरूरी है कि वे कुछ गंभीर कार्यक्रम बनाएं जिसमें बच्चों के मनोरंजन और सीखने की मात्रा दोनों हो
x
इतने सालों में रिएलिटी शो ‌विभिन्न अवतार धारण कर चुके हैं

एन. रघुरामन का कॉलम: इतने सालों में रिएलिटी शो ‌विभिन्न अवतार धारण कर चुके हैं। हमारे दिनों में रेडियो पर क्विज प्रतियोगिता से शुरू होकर, विभिन्न दशक के बच्चों और युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए अलग-अलग कार्यक्रम रहे, चाहे वह नृत्य हो, संगीत या कुछ और। कई बच्चे इन मनोरंजन कार्यक्रमों का हिस्सा बनकर इसमें अपना कॅरिअर भी बना लेते हैं। पर विदेशों में महामारी के दौरान घर पर बैठे बच्चों को आकर्षित करने के लिए इन कार्यक्रमों में सुधार हुआ है।


बीबीसी ने ब्रिटिश बच्चों की चित्रकारी से लेकर पॉटरी कला के रिएलिटी शो में भागीदारी से रुचि को बढ़ावा दिया, जहां 12 शौकिया पॉटर 'चैंपियन ऑफ द व्हील्स' बनने के लिए भिड़ते हैं। 'पोर्ट्रेट आर्टिस्ट ऑफ द ईयर' स्पर्धा में बच्चे विख्यात लोगों के चित्र बनाते हैं। 'द डिजाइन चैलेंज' गुड़िया के आकार के सर्वश्रेष्ठ घर बनाने के लिए प्रोत्साहित करता है। फिर कपड़ों की सिलाई का हुनर परखने के लिए 'ब्रिटेन्स बेस्ट होम सिवर' कार्यक्रम होता है। पाककला परखने के लिए 'द ग्रेट ब्रिटिश बेकिंग ऑफ' कार्यक्रम अभी जारी है।

'आर यॉर्कशायर फार्म' जैसे टीवी कार्यक्रम हैं, जहां खेती से जुड़े पूरे परिवार का रोजमर्रा का जीवन बहुत सारे ट्विस्ट के साथ दिखाया जाता है। इस कार्यक्रम में पूरा परिवार साथ मिलकर काम को अंजाम देता है। पूरे परिवार को शामिल करने की तर्ज पर साधारण से मन बहलाने वाले काम को रिएलिटी टीवी 'शो मी द हनी' में बदल दिया गया है, जिसमें पांच बच्चे और उनके परिवार सर्वोत्तम व सबसे स्वादिष्ट शहद बनाने की चुनौतियों की पूरी सीरिज़ में हिस्सा लेंगे। हां, ये मधुमक्खी पालन का पहला प्रतियोगी शो है, जिसे बीबीसी, आईप्लेयर पर 30 सितंबर से प्रसारित करेगा।

जलवायु संकट से निपटने के लिए लोगों की बढ़ रही भूख के साथ, 'शो मी द हनी' मधुमक्खियों की संख्या में आ रही गिरावट उलटकर मधुमक्खी पालन के बारे में चर्चा करेगा और दर्शकों को सुझाव देगा कि सभी परागण करने वाले कीटों की मदद कैसे करें। संक्षेप में कहें तो ये कार्यक्रम जैववि‌विधता व जिस तरह हम जमीन प्रबंधन कर रहे हैं, उस पर रोशनी डालेगा। कार्यक्रम न सिर्फ ये बताएगा कि शहद कैसे बनाया जाता है, साथ ही सिखाएगा कि मधमुक्खी के छत्ते की देखभाल के लिए क्या करना पड़ता है और खाद्य शृंखला में मधुमक्खियों की अद्‌भुत भूमिका व पर्यावरण की रक्षा के लिए महत्व बताएगा।

इसमें एक जज यूके के सेलिब्रिटी शेफ हैं, जो जीतने वाले शहद से डिश बनाते हैं। सातों एपिसोड में हरेक में कार्यक्रम के निर्देशक अपने बगीचे को मधुमक्खी के अनुकूल बनाने के लिए पराग का स्वर्ग (पॉलन पैराडाइज) जैसा विषय शामिल करेंगे या बताएंगे कि कैसे एक खिड़की पर कुछ फूलों को रखने से मधुमक्खियों को एक बड़े जंगली फूलों के घास के मैदान से दूसरे तक जाने में मदद मिलती है। निर्देशक कहते हैं कि खिड़की पर रखे ये फूल ईंधन भराने वाले स्टेशन की तरह काम करते हैं जैसे लंबी यात्रा के दौरान हम ढाबे पर स्नैक्स-चाय के लिए रुकते हैं।

चूंकि दुनिया धीरे-धीरे पर्यावरण के प्रति सचेत होती जा रही है और हर कोई मदद करना चाहता है, निर्माताओं का मानना है कि मधुमक्खी जैसे पॉलिनेटर्स से शुरू करना बेहतर है जो हमारी कई खाद्य फसलों के लिए जिम्मेदार हैं। शौक के अलावा यह वास्तव में तनाव मुक्त करने वाला भी है। बच्चों के लिए तैयार इस तरह के कार्यक्रम उनका ध्यान 'सिर्फ मनोरंजन' से हटाकर 'सीखने की ललक' पर शिफ्ट कर देंगे।

फंडा यह है कि चूंकि भारतीय टीवी कार्यक्रम इस तरह का कोई विकल्प नहीं देते, इसलिए स्कूल और कॉलेज के लिए जरूरी है कि कुछ गंभीर कार्यक्रम बनाएं जिसमें मनोरंजन और सीखने की मात्रा दोनों हो।
Next Story