सम्पादकीय

गुजरे जमाने की बात है!

Gulabi
19 Aug 2021 4:42 PM GMT
गुजरे जमाने की बात है!
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सीबीआई की स्वायत्तता के बारे में मद्रास हाई कोर्ट ने जो कहा, वह सुप्रीम कोर्ट कई वर्ष पहले न सिर्फ कह चुका है

By NI एडिटोरियल।

hc cbi caged parrot एक समय ऐसा आया था, जब लगा कि देश में पारदर्शिता और जवाबदेही का मजबूत तंत्र विकसित होगा। तब संभावना दिखी थी कि सरकारी एजेंसियां सरकार की राजनीतिक मंशाओं से हट कर संविधान की भावना के मुताबिक काम करेंगी। लेकिन तभी देश एक विडंबना का शिकार हो गया।

सीबीआई की स्वायत्तता के बारे में मद्रास हाई कोर्ट ने जो कहा, वह सुप्रीम कोर्ट कई वर्ष पहले न सिर्फ कह चुका है, बल्कि उस बारे में उसने विस्तृत आदेश भी कई बार दिए। लेकिन जब उससे बात आगे नहीं बढ़ी, तो हाई कोर्ट के निर्देशों से कोई प्रगति होगी, इस उम्मीद की कोई वजह नहीं दिखती। एक समय ऐसा आया था, जब लगा कि देश में पारदर्शिता और जवाबदेही का मजबूत तंत्र विकसित होगा। तब संभावना दिखी थी कि सरकारी एजेंसियां सरकार की राजनीतिक मंशाओं से हट कर संविधान की भावना के मुताबिक काम करेंगी। लेकिन तभी देश एक विडंबना का शिकार हो गया। नरेंद्र मोदी न्यूनतम सरकार का नारा बुलंद करते हुए देश के क्षितिज पर उभरे। लेकिन जब लोगों ने सचमुच उनके नारे पर भरोसा करते हुए उन्हें सत्ता सौंप दी, तो वो न्यूनतम सरकार असल में इतनी अधिकतम हो गई, जैसा आपातकाल के बाद कभी नहीं दिखा था। तो फिलहाल यही संदर्भ है। फिर हाई कोर्ट की बातें गौरतलब हैं। उसने सीबीआई को स्वतंत्र और बेहतर संस्था बनाने के लिए केंद्र सरकार को 12 आदेश दिए हैं। इन आदेशों के पालन के लिए अदालत ने समयसीमा भी तय की है।
मद्रास हाई कोर्ट की मदुरई पीठ ने कहा कि इस आदेश का उद्देश्य "पिंजरे में बंद तोते को आजाद करना" है। गौरतलब है कि 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को एक "पिंजरे में बंद तोता" बताया था। अब मद्रास हाई कोर्ट ने उन्हीं शब्दों को दोहराया है। मदुरई पीठ ने 12 निर्देश दिए, जिनमें से प्रमुख हैं- सीबाई को वैधानिक दर्जा देने के लिए जल्द एक नया कानून लाया जाए, उसे चुनाव आयोग और सीएजी की तरह स्वतंत्र बनाया जाए, उसके लिए बजट में अलग से आवंटन हो। इसके अलावा उसके निदेशक को केंद्र सरकार के सचिव जैसी शक्तियां दी जाएं, वो सीधे प्रधानमंत्री या किसी मंत्री को सीधा रिपोर्ट करे। सीबीआई के पुनर्गठन और मूल सुविधाएं बढ़ाने के मामलों में सरकार छह सप्ताह के अंदर फैसला ले। पीठ ने सीबीआई से कहा कि वो छह सप्ताह के अंदर उसके विभागों और अधिकारियों की संख्या को बढ़ाने के लिए भी सरकार को एक विस्तृत प्रस्ताव दे। केंद्र ने अभी तक इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन ये प्रतिक्रिया क्या होगी, इसका अनुमान लगाया जा सकता है। hc cbi caged parrot
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