सम्पादकीय

ये तो एक पैटर्न है

Gulabi Jagat
22 April 2022 5:46 AM GMT
ये तो एक पैटर्न है
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दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में जब लोगों के मकान और दुकानों पर एमसीडी के बुल्डोजर चलने लगे
By NI Editorial
सवाल अतिक्रमण का नहीं है। बल्कि यह आज की सरकार की विचारधारा के मुताबिक अपराध तय करने के पैटर्न से जुड़ा है। उसका सार यह है कि जो लोग इस सरकार की परिभाषा के मुताबिक हिंदुत्व की विचारधारा से नहीं जुड़े हैं, उनके अपराध और जो उसके समर्थक हैं, उनके अपराधों में फर्क है।
दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में जब लोगों के मकान और दुकानों पर एमसीडी के बुल्डोजर चलने लगे, तब सुप्रीम कोर्ट ने इस कार्रवाई को रोकने का आदेश दिया। लेकिन उससे कार्रवाई तुरंत नहीं रुकी। बुल्डोजरी कार्रवाई में जुटे अधिकारी यह कहते रहे कि उन्हें कोर्ट का आदेश नहीं मिला है। बहरहाल, अब मुद्दा यह है कि सर्वोच्च न्यायालय कैसा इंसाफ करेगा? तार्किक ढंग से होना तो यह चाहिए कि जिस समय आदेश जारी किया गया, उसके बाद जिन इमारतों को तोड़ा गया, उन्हें पहले दोबारा बनाने का आदेश दिया जाए। फिर देखा जाए कि उन मकानों को अतिक्रमण की जमीन पर बनाया गया था या नहीं। इसलिए कि ये सवाल अतिक्रमण का नहीं है। बल्कि यह आज की सरकार की विचारधारा के मुताबिक अपराध तय करने के पैटर्न से जुड़ा है। इस रूप में बुल्डोजर सिर्फ जहांगीरपुरी में नहीं चले हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में ऐसा नजारा देखने को मिलता रहा है। उनका सार यह है कि जो लोग इस सरकार की परिभाषा के मुताबिक हिंदुत्व की विचारधारा से नहीं जुड़े हैं, उनके अपराध और जो उसके समर्थक हैं, उनके अपराधों में फर्क है। फिर ये अपराध तय करने का मंच न्यायपालिका नहीं है। यह सरकार और उसके अधिकारी तय करते हैँ। इस रूप में कानून के शासन के सिद्धांत को तिलांजलि दे दी गई है।
कानून के राज का सिद्धांत यह कहता है कि कानून सबके ऊपर है और कानून की नजर में सब बराबर हैं। इसमें धर्म, जाति, लिंग, नस्ल आदि जैसे किसी आधार पर फर्क नहीं किया जा सकता। लेकिन खरगौन से लेकर जहांगीरपुरी में जो हुआ, उसे क्या इस सिद्धांत पर खरा बताया जा सकता है? वहां 17 अप्रैल को हुई हिंसा के बारे में पुलिस ने बताया कि जिस हनुमान जयंती यात्रा के बाद हिंसा भड़की, उसे निकालने के लिए प्रशासन की अनुमति नहीं ली गई थी। कई मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि इस यात्रा में शामिल लोगों के हाथों में बंदूक जैसे हथियार भी थे, जिनका खुलेआम प्रदर्शन किया जा रहा था। सोशल मीडिया पर इन दृश्यों को दिखाने वाले कई वीडियो भी मौजूद हैं। मगर सख्त कार्रवाई सिर्फ इस जवाबी हिंसा करने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगों पर हुई है। आखिर ये पैटर्न देश को कहां ले जाएगा? क्या कानून के राज का भंग होना बहुसंख्यक हिंदू समुदाय के भी दीर्घकालिक हित में है, इस सवाल पर सोचने का वक्त अब आ गया है?
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